आगामी चैत्र पूर्णिमा २०७० दिनांक २५, २६ अप्रैल की रात आंषिक चन्द्रग्रहण होने पर भी यह भारत में मान्य रहेगा। भारतीय पंचांग परिशद के राश्ट्रीय संयोजक राजज्योतिशी पं.बाबूलाल जोषी ने बताया कि भारत में दिखाई देने वाला यह चन्द्रग्रहण ३३ मिनिट का कोर लिये रहेगा तथा भारत में चन्द्रमा पर परमग्रास का असर २-१ दो प्रतिषत रहेगा।
श्री जोषी ने बताया कि चन्द्र ग्रहण पूर्णिमा की समाप्ति से ६ मिनिट पहले ही रात १:२० पर एक बजकर बीस मिनिट पर आरंभ हो जायेगा तथा पूर्णिमा समाप्ति के बाद प्रतिपदा के आरंभ में १:५४ एक बजकर चौवन मिनिट तक की अवधि में भारत में दिखाई देने के कारण इसे प्रभावषाली असर करने वाला माना गया हैं।
आपने बताया कि भारत के अलावा यह ग्रहण एषिया, आस्ट्रेलिया, अफ्रिका, यूरोप, अटलांटिक महासागर व हिंद महासागर में देखा जा सकेगा। आपने कहा कि अंगुलाल्प होने पर अनेक विद्वान इसे मान्यता नहीं देते हैं, लेकिन ग्रहण के दिखाई देने से यह सुनिष्चित हो जाता हैं कि ग्रहण अपना असर किये बिना नहीं रहेगा। अत: धर्मषास्त्र के आधार पर व गणित के सैद्घांतिक पक्ष के द्वारा दिनांक २५ अप्रेल २०१३ गुरूवार को १६:२० सांय चार बजकर बीस मिनिट पर सूतक आरंभ हो जायेगा।
यह ग्रहण स्वाति नक्षत्र व तुला राषि में रहने से जिनका जन्म इस नक्षत्र व राषि में हुआ हैं, उनके लिये तथा त्यागी तपस्वी साधकों, साधु, संतो, न्याय प्रदान करने वाले विषिश्ठजनों आदि के लिये कश्टप्रद तथा मेश, मिथुन, कन्या, मकर व कुंभ राषि वालों को षुभता प्रदान करेगा।