नई दिल्ली, 16 मई (आईएएनएस)। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन विभाग ने सोमवार को यहां गौशालाओं पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया।
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि गांवों को पारम्परिक रूप से इस तरह बनाया गया था, जिससे वहां निवासियों को सुविधाएं मिलती थीं और पशुओं के लिए चारा उपलब्ध होता था।
मंत्री ने कहा कि एक नीति का मसौदा तैयार किया जा रहा है, जिसमें यह प्रावधान शामिल किया गया है कि वनों के निकट स्थित गांव में रहने वाले लोगों को प्रोटीनयुक्त चारा नि:शुल्क प्राप्त हो सके। पर्यावरण मंत्री ने कहा कि चारागाहों को सुरक्षित करने की आवश्यकता है।
उन्होंने सुझाव दिया कि यदि 500 एकड़ भूमि को उदाहरण के लिए लिया जाए, तो उसमें से 25 एकड़ हिस्से पर बेहतर किस्म की घास और चारा उगाया जाना चाहिए।
सम्मेलन में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि पशुधन ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। उन्होंने कहा कि 6.0 करोड़ लोग किसी न किसी रूप में पशुधन से जुड़े हैं।
सिंह ने कहा कि देश में 19 करोड़ पशुधन हैं, जो विश्व के कुल पशुधन का 14 प्रतिशत हिस्सा है। इनमें से 15 करोड़ घरेलू पशुधन हैं। उन्होंने बताया कि सरकार ने राष्ट्रीय प्रजनन केन्द्रों की स्थापना के लिए धनराशि जारी कर दी गई है, ताकि घरेलू पशुधन का संवर्धन और संरक्षण हो सके।
उन्होंने कहा कि घरेलू पशुधन के संवर्धन और संरक्षण के लिए पिछले दो वर्षो में सरकार ने 582 करोड़ रुपये जारी किए हैं।
उन्होंने कहा कि 2014-15 और 2015-16 में दूध उत्पादन में वार्षिक वृद्धि 9.59 प्रतिशत है। उन्होंने कहा, भारत में दूध की उपलब्धता 340 ग्राम है, जबकि पूरी दुनिया में यह 296 ग्राम है।