पणजी, 31 जनवरी (आईएएनएस)। गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के बाद अब पूर्व केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री जयंती नटराजन ने राज्य में अरबों डॉलर के अवैध लौह-अयस्क खनन उद्योग को बंद कराने का श्रेय लिया है।
कांग्रेस से शुक्रवार को नाता तोड़ने के बाद नटराजन ने देर शाम एक प्रमुख समाचार चैनल के साथ एक विशेष बातचीत में कहा कि 2012 में उन्होंने खनन के लिए दी गई पर्यावरण मंजूरी निलंबित कर दी थी।
उनका मानना है कि ये फैसले उनकी कार्य कुशलता के सबूत हैं, जबकि कई कांग्रेस नेताओं ने उन पर शुक्रवार को आरोप लगाया कि उन्होंने मंत्रालय की जिम्मेदारी निभाने में लापरवाही की।
नटराजन ने कहा, “मैं ही गोवा में सभी खनन रुकवाए। और वे अभी भी बंद हैं। वे कहते हैं कि गोवा की पूरी अर्थव्यवस्था मेरी वजह से चौपट हो गई।”
नटराजन ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर उनके मंत्रालय के कामकाज में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया था।
लेकिन गोवा में खनन रुकवाने का नटराजन का दावा अर्धसत्य है।
नटराजन ने 12 सिंतबर, 2012 को गोवा दौरे के दौरान 93 खानों के पट्टे निलंबित कर दिए थे। लेकिन नटराजन ने यह कदम तब उठाया था, जब इसके कुछ ही दिन पहले न्यायमूर्ति एम.बी.शाह आयोग द्वारा 35,000 करोड़ रुपये के अवैध खनन घोटाले का खुलासा किए जाने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने 11 सितंबर को ही अस्थायी रूप से खनन पर रोक लगा दी थी।
लगातार तीन कदमों -तत्कालीन पर्रिकर सरकार द्वारा खनन पर अस्थायी रोक, नटराजन द्वारा पर्यावरण मंजूरी स्थगित करने, और सर्वोच्च न्यायालय के प्रतिबंध के आदेश- के कारण दो साल से अधिक समय से गोवा में खनन बंद है।
संयोगवश 13 सितंबर को प्रेस वार्ता में पर्रिकर ने उन्हें गैर-जिम्मेदार मंत्री करार देते हुए कहा था कि वह प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर पर्यावरण मंत्रालय में व्यवस्था ठीक करने की मांग करेंगे।
गौरतलब है कि पर्रिकर ने एक राष्ट्रीय समाचार चैनल से दिसंबर, 2012 में एक पुरस्कार प्राप्त करते समय यह भी कहा था कि उन्होंने गोवा में अवैध खनन बंद कराया।