भारत के एक 24 वर्षीय पुलिसकर्मी के हाथ पर उसकी माँ का नाम ‘मन्दा’ गुदा हुआ था, जिसे देखकर उसकी माँ ने उसे पहचान लिया।
गणेश रघुनाथ धनगडे के लिए सिर्फ़ उसका नाम ही लम्बे समय तक ऐसा था, जो उसे अपने परिवार से जोड़ता था। जब उसने अपने घर-परिवार की खोज करनी शुरू की तो वह उस अनाथालय में पहुँचा, जहाँ उसका पालन-पोषण हुआ था। अनाथालय के एक रजिस्टर में यह लिखा हुआ था कि बचपन में जब उसे अनाथालय में लाया गया था तो उसने उन्हें यह बताया था कि वह ‘मामा भान्या’ क्षेत्र का रहने वाला है। बस, इतनी-सी जानकारी के आधार पर
गणेश रघुनाथ धनगड़े उस जगह पर पहुँचा और लोगों से पूछताछ करने लगा। लोगों ने उसे एक झोंपड़ी रहने वाली एक औरत के पास भेज दिया।
जब उस औरत से पुलिसकर्मी ने पूछा तो उसने बताया कि हाँ, बहुत साल पहले उसका बेटा खो गया था। उस औरत ने यह भी बताया कि उसके बेटे के हाथ पर उस औरत का नाम ‘मन्दा’ भी लिखा हुआ था।
गणेश रघुनाथ धनगड़े 1989 में मुम्बई के एक रेलवे स्टेशन पर गाड़ी पकड़ते हुए अपने परिवार से बिछड़ गया था। शुरू में स्थानीय मछुआरे उसकी सहायता करते रहे और वह उनके साथ ही रहा। बाद में वह अनाथालय में पला और बड़ा हुआ। इसके बाद गणेश एक दुर्घटना में घायल हो गया और चार महीने बेहोश रहा। इस दौरान वह अपनी स्मृति खो बैठा था।।
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