नई दिल्ली, 17 नवंबर (आईएएनएस)। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर पैदा करने में सहकारिता बहुत बड़ी भूमिका निभा सकती है। डेयरी से जुड़ी सहकारी संस्थाओं ने डेयरी में बड़ी संख्या में रोजगार सृजित कर इस बात को साबित कर दिखाया है।
राधा मोहन सिंह ने कहा कि सहकारिता के विशाल नेटवर्क से दुनिया भर में 10 करोड़ लोगों को रोजगार मिला है।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने यह बात गुरुवार को यहां अशोक होटल में आयोजित 12वीं अंतर्राष्ट्रीय सहकारी संघ-एशिया प्रशांत (आईसीए) की रीजनल असेंबली की बैठक एवं 9वें सहकारी फोरम में कही।
सिंह ने सम्मेलन में हिस्सा ले रहे एशिया-प्रशांत क्षेत्र के करीब 250 विदेशी प्रतिनिधियों का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि यह सम्मेलन भारत और एशिया-प्रशांत की सहकारिता को मजबूत करने में मील का पत्थर साबित होगा।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने कई महत्वपूर्ण योजनाओं की शुरुआत की है, जैसे स्कूलों में शौचालय, जन-धन योजना, स्वच्छ भारत अभियान, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, मेक इन इंडिया।
उन्होंने कहा कि इन्हें लागू करने में सहकारिता संस्थाएं काफी काम की साबित हो सकती है, क्योंकि सहकारिता का विशाल और विस्तृत नेटवर्क गांवों और सूदूर क्षेत्रों में फैला हुआ है। सिंह ने कहा कि सरकार ने कौशल युक्त रोजगार के सृजन पर काफी बल दिया है और आज जबकि देश की 65 प्रतिशत जनसंख्या 38 साल से कम लोगों की है, ऐसे में सहकारिता की ग्रामीण इलाकों में विस्तृत पहुंच, रोजगार के अवसर पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
राधा मोहन सिंह ने बताया कि आईसीए रिजनल अंसेंबली का थीम ‘सतत विकास’ है जो आज के संदर्भ में काफी प्रांसगिक है। यह संयुक्त राष्ट्र के 2030 के ‘सतत विकास’ एजेंडा के अनुरूप है जिसने ‘सतत विकास’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक दूरगामी नीति बनाने पर बल दिया है, जिसमें गरीबी-उन्मूलन, स्वास्थ्य सेवा, रोजगार सृजन, जलवायु परिवर्तन की रोकथाम जैसे विषय शामिल हैं।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि देश में छह लाख से ज्यादा सहकारी समितियां हैं जिनकी सदस्य संख्या 249.12 करोड़ है। इन समितियों ने सहकारी आंदोलन को विश्व में सबसे बड़ा आंदोलन बनाया है। ये समितियां उर्वरक वितरण, चीनी उत्पादन, हथकरघा, रिटेल क्षेत्र में कार्यरत हैं। दूध सहकारिता ने श्वेत क्रांति द्वारा भारत को दूध उत्पादन में आत्मनिर्भर बना दिया है। आवास सहकारिता ने समाज के कमजोर वर्ग को कम दाम पर आवास की सुविधाएं प्रदान की हैं।