रुद्रप्रयाग। गोमुख क्षेत्र को इको सेंसिटिव जोन घोषित करने के बाद अब केदारघाटी व मद्महेश्र्र्वर को इसमें शामिल करने की तैयारी हो रही है। वन विभाग इन क्षेत्रों को इको सेंसिटिव जोन में शामिल करने का प्रस्ताव केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को भेज चुका है।
जिले के ऊखीमठ ब्लॉक के लगभग 20 गांवों के इको सेंसिटिव जोन में शामिल करने के लिए वन विभाग ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा है। इसमें केदारनाथ वन प्रभाग के अंतर्गत आने वाले 20 गांवों को शामिल किया गया है। यह प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास विचाराधीन है। इसका भी विरोध होना तय माना जा रहा है। यह पूरा क्षेत्र इको सेंसिटिव जोन में शामिल होने से विकास कार्यो पर बुरा असर पडे़गा और विकास की राह ताक रहे सीमांत गांव पर इसका बुरा असर होगा। ग्रामीणों को छोटे-छोटे कार्य करने के लिए वन मंत्रालय और शासन प्रशासन पर निर्भर रहना पड़ेगा। ग्रामीणों को भवन, पेयजल, मार्गो जैसी बुनियादी जरूरतों के लिए सरकार पर निर्भर रहना पड़ेगा। वर्तमान में ग्रामीणों के सारे कार्य जंगलों पर ही निर्भर है। वनों से वे मवेशियों के लिए चारा पत्ती लाते है। ग्रामीण दुग्ध उत्पादन व खेती कर अपनी आजीविका चलाते हैं। इसके साथ ही खाना बनाने के लिए सूखी लकडि़यों के लिए जंगलों पर ही निर्भर हैं। इको सेंसिटिव जोन घोषित होने के बाद जंगलों पर प्रतिबंध लग जाएगा। इससे उनके हक हकूक भी समाप्त हो जाएंगे।