Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/load.php on line 926

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826
 गंगा में शहनाई से राग मेघ बजाकर की बारिश की प्रार्थना | dharmpath.com

Wednesday , 27 November 2024

ब्रेकिंग न्यूज़
Home » भारत » गंगा में शहनाई से राग मेघ बजाकर की बारिश की प्रार्थना

गंगा में शहनाई से राग मेघ बजाकर की बारिश की प्रार्थना

वाराणसी, 4 जून (आईएएनएस)। भगवान इंद्र को प्रसन्न करने के लिए और उनसे बारिश कराने की प्रार्थना करते हुए शहनाई वादकों के एक समूह ने वाराणसी में गंगा नदी में अस्सी घाट पर घुटने तक गहरे पानी में खड़े होकर राग मेघ बजाया।

वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में मुख्य शहनाई वादक महेंद्र प्रसन्ना ने कहा, “गर्म लहर सभी के लिए असहनीय होती जा रही है। हमने अपने संगीत से भगवान इंद्र को खुश करने का फैसला किया, ताकि वे गर्मी से कुछ राहत दिला सकें।”

अनुष्ठान के बारे में उन्होंने कहा, “हमने भगवान इंद्र को प्रसन्न करने के लिए राग मेघ बजाया और फिर मां गंगा को प्रसन्न करने के लिए ‘नारियल बलि’ (नारियल का प्रतीकात्मक बलिदान) दी और पूजा पूरी करने के लिए दूध से बाबा विश्वनाथ का अभिषेक किया।”

राज्य के पूर्वांचल क्षेत्र के लोग कई प्रथाओं में विश्वास करते हैं। वे मुख्य रूप से मानते हैं कि लोकगीत अच्छी बारिश सुनिश्चित कर सकते हैं।

स्थानीय पुजारी आचार्य विष्णु शर्मा ने कहा कि सबसे लोकप्रिय प्रथाओं में से एक है नर मेंढक और मादा मेंढक की शादी कराना। हालांकि, इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है, लेकिन यह एक लोकप्रिय धारणा है।

महिलाओं द्वारा अपने शरीर पर बिना सिले कपड़े पहनकर खेतों की जुताई करने की प्रथा ग्रामीण अंदरूनी इलाकों में बारिश की प्रार्थना करने के लिए अपनाई जाने वाली सबसे आम प्रथा है। महिलाएं सूर्योदय से पहले उठकर खेतों की जुताई करती हैं। इस अनुष्ठान के दौरान पुरुषों को खेतों में जाने की अनुमति नहीं है।

एक और प्रचलित प्रथा को ‘काल कलौटी’ के नाम से जाना जाता है जिसमें बच्चे कीचड़ में लोटते हैं और लोग उन पर पानी फेंकते हैं। इस दौरान बच्चे कीचड़ में खेलते हुए “काल कलौटी खेले हैं, काले बादल पानी दे /कानी कौड़ी रेत में, पानी बरसे खेत में” गाते हैं।

इस बीच, मौसम विभाग के अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश में गर्मी की स्थिति से कुछ राहत मिलने से पहले अपने पूर्वानुमान में एक सप्ताह और लू की स्थिति रहने की बात कही है।

गंगा में शहनाई से राग मेघ बजाकर की बारिश की प्रार्थना Reviewed by on . वाराणसी, 4 जून (आईएएनएस)। भगवान इंद्र को प्रसन्न करने के लिए और उनसे बारिश कराने की प्रार्थना करते हुए शहनाई वादकों के एक समूह ने वाराणसी में गंगा नदी में अस्सी वाराणसी, 4 जून (आईएएनएस)। भगवान इंद्र को प्रसन्न करने के लिए और उनसे बारिश कराने की प्रार्थना करते हुए शहनाई वादकों के एक समूह ने वाराणसी में गंगा नदी में अस्सी Rating:
scroll to top