नई दिल्ली, 1 सितम्बर (आईएएनएस)। भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) के अध्यक्ष एन. रामचंद्रन ने राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार छीने जाने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश पर ‘निराशा’ व्यक्त की है।
रामचंद्रन ने मंगलवार को एक वक्तव्य जारी कर कहा, “अभी मैं यात्रा पर हूं और न्यायालय का आदेश नहीं पढ़ सका। भारतीय न्याय प्रणाली में मेरी पूरी आस्था है। इसके बावजूद में इस आदेश से निराश हूं।”
रामचंद्रन ने कहा, “जब मैं पूरा आदेश देख लूंगा उसके बाद ही आगे कोई निर्णय लूंगा। इससे खेलों और खेल प्रशासन को प्रोत्साहन दिए जाने के मेरे जुनून पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।”
रामचंद्रन को 2011 में इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। उस समय वह भारतीय स्क्वॉश रैकेट्स महासंघ के अध्यक्ष थे और तमिलनाडु में 10 वर्षो तक स्क्वॉश एवं ट्राथलॉन अकादमी संचालित करने के लिए उन्होंने 7.5 करोड़ रुपये खर्च किए।
उन्होंने भारतीय स्क्वॉश अकादमी को भी दो करोड़ रुपये का योगदान करने का दावा किया है।
हालांकि सोमवार को दो न्यायाधीशों वाली पीठ ने सोमवार को अपने 53 पृष्ठ के फैसले में पुरस्कार के लिए व्यक्ति के चयन और सत्यापन प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं।
अदालत ने पूर्व खिलाड़ियों के एक समूह द्वारा दायर की गई याचिका पर यह फैसला सुनाया।
इस बीच हॉकी इंडिया (एचआई) के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा ने मंगलवार को रामचंद्रन पर जमकर भड़ास निकाली।
बत्रा ने कहा, “शर्म आनी चाहिए तुम्हें। आईओए अध्यक्ष पद छोड़ोगे या बेशर्मो की तरह अभी भी पद पर बने रहोगे। क्या आईओए के अध्यक्ष पद पर ऐसे व्यक्ति को बने रहना चाहिए जो अवार्ड के लिए गलत जानकारी देता हो?”