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 खरात की सार्थकता साबित कर रहा मुस्लिम ट्रस्ट (आईएएनएस विशेष) | dharmpath.com

Monday , 21 April 2025

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खरात की सार्थकता साबित कर रहा मुस्लिम ट्रस्ट (आईएएनएस विशेष)

हैदराबाद, 11 नवंबर (आईएएनएस)। किस्मत के मारे लोगों की मदद करने वाले लोगों की समाज में कमी नहीं है, लेकिन अक्सर ऐसा होता है कि उनकी मदद जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पाती है। लोग दान में दी गई रकम का दुरुपयोग कर लेते हैं।

हैदराबाद, 11 नवंबर (आईएएनएस)। किस्मत के मारे लोगों की मदद करने वाले लोगों की समाज में कमी नहीं है, लेकिन अक्सर ऐसा होता है कि उनकी मदद जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पाती है। लोग दान में दी गई रकम का दुरुपयोग कर लेते हैं।

इस फितरत से निजात दिलाने और दानदाताओं और लाभार्थियों को दान से होने वाले संतोष का अनुभव कराने के मकसद से हैदराबाद की संस्था ‘साफा बैतूल माल’ ने इसके लिए एक तरीका ढूंढ निकाला है, जिसमें दानदाता अमीरों और जरूरतमंदों का डाटा तैयार करके उनके बीच संपर्क स्थापित किया जाता है।

इस शैक्षणिक, जनकल्याणकारी व खराती न्यास द्वारा हर महीने विभिन्न राज्यों में परोपकारी कार्यकलापों में 70-80 लाख रुपये खर्च किए जाते हैं।

मौलाना गयास अहमद रशदी ने 2006 में इस संगठन की नींव डाली थी। तेलंगाना, आंध्रपदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, असम, झारखंड, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और मध्यप्रदेश में संगठन की 70 शाखाएं हैं।

पांच उलेमा के नेतृत्व में संचालित साफा बैतूल माल में मासिक वेतनभोगी 450 कर्मचारी कार्यरत हैं,

मौलाना रशदी ने आईएएनएस को बताया, “हम यह सुनिश्चित करते हैं कि अमीरों की मदद उन लोगों तक पहुंच पाए जो वास्तव में जरूरतमंद हैं।”

वह परोपकार के क्षेत्र में उलेमा को शामिल करने की कोशिश करते हैं। संगठन अपने कार्यकलापों में मस्जिदों के इमामों को शामिल कर रहा है। उन्होंने कहा, “मस्जिद के इमाम न सिर्फ उस मस्जिद के प्रमुख होते हैं, बल्कि वह अपने क्षेत्र के लोगों के भी मुखिया होते हैं, चाहे लोग किसी भी धर्म के हों।”

हैदराबाद स्थित संगठन के कॉल सेंटर में रोजाना 400-500 कॉल्स आते हैं। कॉल करने वालों में दानदाता और दानार्थी दोनों होते हैं।

संगठन इस बात की पारदर्शिता सुनिश्चित करता है कि हरेक दाता को उसके पैसे खर्च किए जाने का विवरण समेत लाभार्थियों के नाम और फोन नंबर भी प्राप्त हो।

साफा की शाखाओं के प्रभारी एम. ए. मुक्तदिर इमरान ने कहा, “हमारे पास मदद के लिए जो कोई संपर्क करता है उसको अपना विवरण देना होता है और हमारे लोग आवेदक द्वारा दी गई जानकारी की दोबारा जांच करते हैं।”

सर्वेक्षण से प्राप्त तथ्यों के आधार पर आवेदकों को सफेद, पीले या गुलाबी कार्ड जारी किए जाते हैं। इन कार्डो के जरिए उनको विभिन्न प्रकार की मदद दी जाती है।

साफा बैतूल माल को जकात, फितरा, सदका व अन्य खरात के रूप में लोगों से दान प्राप्त होता है। हालांकि पुराने घरेलू सामान इसकी आय का सबसे बड़ा स्रोत हैं। हैदराबाद में घरों के पुराने सामान लेने के लिए औसतन 100 कॉल्स आते हैं।

संगठन के पास पुराने सामान ढोने के लिए 12 वाहन हैं। कभी-कभी ये सामान काम के लायक भी होते हैं और कभी-कभी उनकी मरम्मत की जरूरत होती है। लोगों से प्राप्त पुराने सामान को बंदलागुडा में सस्ते दाम पर बेचकर संगठन धन जुटाता है। संगठन को पुराने सामान बेचकर 18-19 लाख रुपये की रकम अर्जित होती है, जिसे फिर परोपकार के कार्यकलापों में खर्च किया जाता है।

संगठन सिर्फ हैदराबाद में 150 अनाथों की शिक्षा का खर्च वहन करता है। इसमें प्रत्येक बच्चे की मासिक स्कूल फीस और भोजन पर 2,000 रुपये खर्च किया जाता है। संगठन का एक प्रतिनिधि स्कूल जाकर उनकी शैक्षणिक प्रगति की निगरानी करता है। बच्चों को मुफ्त में वर्दी और किताबें मुहैया कराई जाती हैं।

इसके अलावा, प्रत्येक बच्चे की उच्च शिक्षा के लिए उसके नाम म्यूचुअल फंड में हर महीने 1,000 रुपये जमा किया जाता है। इसमें आधी रकम का योगदान सलेहा रशीद ट्रस्ट नामक एक अन्य संगठन देता है।

इतनी ही संख्या में विधवाओं को भी 1,000 रुपये की सहायता प्रदान की जाती है, जबकि शारीरिक और मानसिक रूप अशक्त लोगों को 1000 रुपये से 2,000 रुपये प्रदान किए जाते हैं।

किशन बाग और बाबा नगर जैसे गरीब और पिछड़े इलाकों में, साफा ने अनाथों, विधवाओं, विकलांगों और अन्य जरूतरमंदों की पहचान करने के लिए सर्वेक्षण करवाया है।

हैदराबाद की 26 चिन्हित मलिन बस्तियों में से रोजाना एक बस्ती में संगठन की ओर से चिकित्सा शिविर का आयोजन किया जाता है। लोगों को स्वास्थ्य जांच के बाद मुफ्त दवाइयां दी जाती हैं। सफेद कार्डधारक साफा द्वारा संचालित चिकित्सा केंद्र में मुफ्त में जांच करवा सकते हैं। संगठन स्वास्थ्य सेवा संबंधी कार्यकलापों पर हर महीने आठ लाख रुपये खर्च करता है।

संगठन ने शादी के लिए मदद करने का एक अनूठा तरीका अपनाया है। साफा की ओर से निर्धारित शादी की तिथि और समारोह स्थल पर शादी करने वाले जोड़ों को शादी के लिए मदद दी जाती है।

इमरान ने कहा, “हम प्रत्येक शादी पर 50,000- 60,000 रुपये खर्च करते हैं, जो जोड़े को फर्नीचर और घर के सामान के साथ दिए जाते हैं।”

साफा द्वारा संचालित 10 सिलाई केंद्र में 1,000 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जाता है। यहां प्रशिक्षण के लिए फैशन डिजाइनरों को बुलाया जाता है। राज्य सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा स्थापित एक विनिर्माण केंद्र में साफा की ओर से दर्जनों महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जाता है, जिनके लिए 40 मशीनें रखी गई हैं।

साफा द्वारा छोटे कारोबारियों को ब्याज-मुक्त कर्ज भी प्रदान किया जाता है। वेंडरों को सप्ताह में 3,000 रुपये का कर्ज दिया जाता है, जिसे वे छह सप्ताह में चुका सकते हैं। जल्द कर्ज चुकाने वालों को अधिक सहायता राशि दी जाती है।

रमजान के महीने में साफा की ओर से जरूरतमंदों के बीच 50 लाख रुपये के 25,000 राशन के पैकेट बांटे जाते हैं। संगठन ईद पर भी राशन के पैकेट बांटता है।

हैदराबाद जकात और चैरिटेबल ट्रस्ट भी जरूरतमंदों की मदद के लिए साफा बैतूल माल को सहयोग करता है।

(यह साप्ताहिक फीचर श्रंखला आईएएनएस और फ्रैंक इस्लाम फाउंडेशन की सकारात्मक पत्रकारिता परियोजना का हिस्सा है।)

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