पाप में पड़ना मानव स्वभाव है, उसमें डूबे रहना शैतान स्वभाव है। उस पर दुखित होना संत स्वभाव है और सब पापों से मुक्त होना ईश्वर स्वभाव है।
भगवतीचरण वर्मा
जो कर्म छोड़ता है, वह गिरता है। कर्म करते हुए भी जो उसका फल छोड़ता है, वह गिरता है।
महात्मा गांधी
हम इतना बुराई से नहीं डरते जितना बदनामी से डरते हैं। बदनामी का डर न हो तो संसार में पापों की संख्या कई गुना बढ़ जाए।
विनोबा भावे
समय गंवाने से ज्यादा बड़ी मूर्खता और कोई नहीं होती।
लोकमान्य तिलक