जयपुर, 23 जनवरी (आईएएनएस)। कांग्रेस के सांसद शशि थरूर ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘शाइनिंग इंडिया’ के लिए ‘असाधारण मतों’ से विजयी हुए हैं, लेकिन क्या वास्तव में उनके पास आर्थिक विकास को बनाए रखने और लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने की सटीक ‘रणनीति’ है?
थरूर ने मोदी के ‘स्वच्छ भारत’ अभियान की व्यावहारिकता पर भी सवाल उठाया। इस अभियान के एंबेसडरों में से वे एक हैं। इसके लिए कोष के अभाव का उल्लेख किया और जोर दिया कि यह बस ‘फोटो का अवसर’ नहीं होना चाहिए।
थरूर ने कहा, “हम सभी जानते हैं कि हमारी समस्याएं क्या हैं और अभी तक हम उनके (मोदी) कई भाषण सुन चुके हैं, लेकिन हमारे पास उनकी सरकार इसे कैसे करने का इरादा रखती है, उसके बारे में एक सटीक तंत्र मौजूद नहीं है।”
उन्होंने आगे जोड़ा, “तेज विकास पर्याप्त नहीं है, सरकार के पास एक रणनीति होनी चाहिए।”
जयपुर साहित्योत्सव के जारी सत्र को संबोधित करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री थरूर (58) ने किसी भी विवाद से दूरी बनाए रखा जबकि श्रोताओं की तरफ से उनकी पत्नी सुनंदा पुष्कर की हत्या के मामले से संबंधित किसी भी प्रकार के ‘असहज’ सवाल का सामना उन्हें नहीं करना पड़ा। हत्या के इस मामले में हाल ही में दिल्ली पुलिस ने थरूर से पूछताछ की है।
सत्र का नाम ‘इंडिया शास्त्र’ थरूर की नई किताब के नाम पर रखा गया है। उनकी यह किताब दुनिया और भारत के विभिन्न राजनीतिक, कूटनीतिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर निबंधों का संकलन है।
किताब से कुछ उद्धरणों को पढ़ते हुए थरूर ने उजागर किया कि लाखों लोगों की अभिलाषाओं की पूर्ति के लिए देश को कई क्षेत्रों में बड़े बुनियादी निवेश की किस तरह दरकार है।
उन्होंने कहा, “युवाओं से मोदी ने जो वादे किए हैं..यदि वे पूरे नहीं होते हैं तो कांग्रेस अगले चुनाव की प्रतीक्षा में होगी।”
थरूर ने कहा कि बीमारी की जांच महत्वपूर्ण है और इससे निजात दिलाने के लिए एक समाधान तलाशना जरूरी है।
उन्होंने कहा, “वे (मोदी) को बड़े कदम उठाने होंगे और उससे निहित स्वार्थियों को निराशा हाथ लग सकती है। उनका कुछ समूहों (वीएचपी, संघ) से जुड़ाव ने उन्हें सत्ता तक पहुंचने में मदद की, लेकिन वे ऐसे लोग हैं जो विदेशी निवेश की समझ नहीं रखते और इसकी परवाह नहीं करते।”
थरूर से उनकी पार्टी के लोग तब असहज हो गए थे, जब उन्होंने मोदी के ‘स्वच्छ भारत’ अभियान का समर्थन किया था, लेकिन ‘मध्यम वर्ग की अभिलाषाओं’ से जुड़े प्रयासों के बारे में बात करते हुए उन्होंने उल्लेख किया कि ‘ऐसे अभियान सिर्फ तस्वीर खिंचवाने का अवसर नहीं बनना चाहिए।’