भारतीय चुनाव आयोग के कांग्रेस से ओपीनियन पोल के बारे में राय पूछने पर पार्टी ने जवाब दिया कि ओपीनियन पोल “अक्सर भटकाने वाले होते हैं, ये न तो वैज्ञानिक हैं, न ही ऐसे पोल करने की कोई पारदर्शी प्रक्रिया है.”कांग्रेस ने यह भी कहा, “ये पोल चुनाव आयोग द्वारा कराए जाने वाले चुनाव की बुनियादी अवधारणा और प्रक्रिया के ख़िलाफ़ हैं. इसलिए हम चुनाव आयोग द्वारा उठाए गए कदम की सराहना करते हैं.”
कांग्रेस को फिलहाल लग रहा है कि वो शायद चुनाव हार भी सकती है. दरअसल चुनावपूर्व सर्वेक्षण और पोल भी यही दिखा रहे हैं.
इसीलिए अब वो खेल के नियम बदलना चाहती है और जो लोग उसके लिए बुरी ख़बर लेकर आ रहे हैं उन पर पाबंदी लगाना चाहती है.
बुरी ख़बर लाने वाले डाकिए को सज़ा देना आपके चरित्र को और भी उजागर कर देता है.
सीएनएन-आईबीएन-दि वीक-सीएसडीएस के हालिया ओपीनियन पोल के अनुसार मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा को कुल 230 में से 148-160 सीटें मिलने की संभावना है जबकि कांग्रेस को इन चुनावों में महज 52-62 सीटें मिलने की संभावना जताई गई.
छत्तीसगढ़ में कराए गए इसी ओपीनियन पोल के अनुसार यहाँ की कुल 90 विधानसभा सीटों में से भाजपा 61-71 सीटें जीत सकती है, वहीं कांग्रेस के 16-24 सीटें जीतने की संभावना है.
राजस्थान में हुए ओपीनियन पोल के अनुसार विधानसभा की कुल 200 सीटों में से 115-125 सीटें जीतकर भाजपा सत्ता में वापसी कर सकती है. सर्वेक्षण के अनुसार राजस्थान में सत्ताधारी कांग्रेस 60-68 सीटें जीत सकती है.
ऐसे में इस बात पर कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि कांग्रेस चुनाव आयोग के उस प्रस्ताव के समर्थन में है जिसके अनुसार इस तरह के ओपीनियन पोल पर पाबंदी लगा देनी चाहिए.
ओपीनियन पोल पर पाबंदी लगाना वैधानिक है या नहीं इस बारे में संविधान विशेषज्ञों की राय बंटी हुई है.
एक्जिट पोल पर पहले ही प्रतिबंध लगाया जा चुका है. एक्जिट पोल वोट देकर बाहर निकल रहे वोटरों की राय पर आधारित होते हैं.
सर्वेक्षण में इन वोटरों की राय के आधार पर प्रत्याशियों की जीत या हार का अनुमान लगाया जाता है.
इस पर पाबंदी लगाने के पीछे यह तर्क दिया गया कि कई चरणों वाले चुनाव में इस तरह के सर्वेक्षण से बाद के चरणों में मतदाता प्रभावित होते हैं.
बसपा(बहुजन समाज पार्टी) जैसी दूसरी पार्टियों के समर्थन से कांग्रेस का पक्ष और मजबूत हो गया है.इस समय भारतीय जनता पार्टी भले ही कांग्रेस पर ताना कस रही है कि कांग्रेस चुनाव में हारने के डर से ओपीनियन पोल पर प्रतिबंध लगाना चाहती है लेकिन चुनाव आयोग ने चुनाव सुधार पर सात चरणों में विचार-विमर्श किया था.