कोलकाता, 5 फरवरी (आईएएनएस)। कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के पांच श्रमिक संघ 16 फरवरी को केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलेंगे और कंपनी के 10 फीसदी विनिवेश के बाद की कार्ययोजना पर वार्ता करेंगे। यह जानकारी यहां गुरुवार को दी गई।
इंटक से संबद्ध इंडियन नेशनल माइन वर्कर्स फेडरेशन के महासचिव एसक्यू जामा ने कोयला मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक भारद्वाज के साथ होने वाली इस वार्ता के बारे में कहा, “भावी कार्ययोजना पर विचार करने के लिए नई दिल्ली में 16 फरवरी को एक बैठक तय की गई है।”
वार्ता में कोल इंडिया और सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) के अधिकारी भी हिस्सा लेंगे।
जामा के मुताबिक, इससे पहले श्रमिक संघों की अपनी एक अलग बैठक होगी, जिसमें वे साझा मांग और लक्ष्यों पर विचार करेंगे।
वार्ता में सीटू, एटक, बीएमएस और एचएमएस के एक-एक और इंटक के दो प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे।
जामा ने कहा कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के न्यूनतम विनिवेश की सीमा बढ़ाकर 25 फीसदी किए जाने के बाद कोल इंडिया का हाल का विनिवेश अवश्यंभावी था।
उन्होंने हालांकि शिकायत के साथ कहा कि श्रमिक संघों और सरकारी अधिकारियों की संयुक्त समिति जनवरी के आखिर तक गठित नहीं की गई, जिस कारण संघ खुद का ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
जामा ने कहा कि कोयला ब्लॉक की प्रथम चरण की नीलामी में कोयले के वाणिज्यीकरण की संभावना दिखाई नहीं पड़ रही है, लेकिन अगले दो चरणों की नीलामी में इससे इंकार नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, “भारद्वाज, (कोल इंडिया के प्रबंध निदेशक) एस. भट्टाचार्य और (एससीसीएल के अध्यक्ष) एन. श्रीधर के साथ हमारी बैठक के बाद इस बारे में स्थिति स्पष्ट होगी।”
विनिवेश के बाद श्रमिक संघों ने हड़ताल का फैसला नहीं किया है, लेकिन पांचों संघों ने 10 फरवरी को राष्ट्रीय स्तर पर विरोध जताने का फैसला किया है।
सीटू से संबद्ध ऑल इंडिया कोल वर्कर्स फेडरेशन के एक अधिकारी ने आईएएनएस से कहा, “एक राष्ट्रीय विरोध प्रदर्शन का फैसला किया गया है, जिसमें सरकारी नीति के प्रति असंतोष जताने के लिए कोल इंडिया और एससीसीएल के सभी संघ हिस्सा लेंगे।”
अधिकारी ने कहा, “केंद्र सरकार कोल इंडिया का संपूर्ण विनिवेश करना चाहती है, जिसके कारण अगले 12 साल में कम से कम 50 स्थायी कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा।”
उन्होंने कहा, “(हड़ताल में) करीब 10 लाख श्रमिक हिस्सा लेंगे, लेकिन हमारी कोशिश इसे बढ़ाकर एक करोड़ करने की है।”