नई दिल्ली, 11 मार्च (आईएएनएस)। कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में दिल्ली की एक विशेष अदालत ने बुधवार को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला और पूर्व कोयला सचिव पी.सी.पारेख को सम्मन जारी किया है।
विशेष न्यायाधीश भरत पाराशर ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की अंतिम रपट पर संज्ञान लेते हुए हिंडाल्को के अधिकारियों -शुभेंदु अमिताभ और डी.भट्टाचार्या- को भी सम्मन भेजा है। इन सभी को आठ अप्रैल को अदालत में पेश होना है।
तत्कालीन कोयला मंत्री को हालांकि सीबीआई ने अपनी मूल प्राथमिकी (एफआईआर) में आरोपी नहीं बनाया था, फिर भी उन्हें आपराधिक षडयंत्र रचने, आपराधिक विश्वासघात और भ्रष्टाचार निवारक अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत सम्मन जारी किया गया है।
सभी को ओडिशा के तालाबीरा-2 और 3 कोयला ब्लॉक का आवंटन हिंडाल्को को 2005 में किए जाने के मामले में आरोपी के रूप में सम्मन जारी किया गया है।
उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी (आपराधिक षड़यंत्र) और धारा 409 (लोकसेवक या बैंकर, व्यापारी या एजेंट द्वारा आपराधिक विश्वासघात) तथा भ्रष्टाचार निवारक अधिनियम की धारा 13(1)(सी) और 13(1)(डी)(3) के तहत सम्मन जारी किया गया है।
अदालत ने कहा कि हिंडाल्को को तालाबीरा-2 कोयला ब्लॉक देने के लिए कोयला मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय के विभिन्न स्तरों के विभिन्न लोकसेवकों को शामिल करते हुए एक सुनियोजित कार्य को अंजाम दिया गया था।
अदालत ने कहा कि इस प्रक्रिया में 25वीं चयन समिति की सिफारिशों की अवहेलना की गई और इसके लिए ऐसी प्रक्रिया अपनाई गई, जो मंजूर किए गए दिशानिर्देशों और कानून के शासन से मेल नहीं खाते।
अदालत ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस मामले में अतिरिक्त अनुचित रुचि ली और पत्र और टेलीफोन दोनों ही माध्यमों से कोयला मंत्रालय को यह याद दिलाया कि हिंडाल्को को तालाबीरा-2 कोयला ब्लॉक के आवंटन की प्रक्रिया शीघ्रता से पूरी की जाए।
अदालत ने कहा, “मौजूदा मामले में मनमोहन सिंह ने कोयला मंत्रालय अपने पास रखने का निर्णय लिया और इसलिए प्रथम दृष्टया वह यह नहीं कह सकते हैं कि प्रधानमंत्री होने के नाते उनसे यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह हर मामले की छोटी-से-छोटी बातों पर गौर करें।”
बिड़ला की भूमिका पर अदालत ने कहा कि एक औद्योगिक घराने के प्रमुख होने के नाते उन्होंने भट्टाचार्य और अमिताभ के साथ मिलकर राजनीति और नौकरशाही में अपने रसूख का इस्तेमाल किया और तालाबीरा-2 का आवंटन सुनिश्चित किया।
अदालत ने कहा कि आपराधिक षड़यंत्र की शुरुआती योजना अमिताभ और भट्टाचार्य ने बनाई।
अदालत ने गत वर्ष 16 दिसंबर को सीबीआई की समापन रपट को खारिज करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का बयान दर्ज करने के निर्देश दिए थे।
इन लोगों को सम्मन भेजते हुए अदालत ने इस मामले में 19 फरवरी को दाखिल आखिरी अनुपालन रपट पर संज्ञान लिया।
सीबीआई ने अक्टूबर 2013 में इस मामले में बिड़ला, पारेख और अन्य को आपराधिक षड़यंत्र तथा भ्रष्टाचार का आरोपी बनाया था। बाद में उसने समापन रपट दाखिल की थी और कहा था कि जांच के दौरान जुटाए गए सबूत प्राथमिकी में नामजद लोगों के खिलाफ आरोप की पुष्टि नहीं करते हैं।
अदालत ने समापन रपट को खारिज कर दिया था और कहा था कि हिंडाल्को के हित की रक्षा के लिए सरकारी मशीनरी का उपयोग करने के लिए एक सामूहिक कोशिश की गई है।