कोहिमा– नगालैंड में कोन्यक जनजाति का शीर्ष संगठन ‘कोन्यक यूनियन’ ने मांग की है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह माफी मांगें और संसद में दिया अपना कथित ‘भ्रामक’ बयान वापस लें. यूनियन ने इसके साथ ही ‘गलत पहचान’ और सुरक्षा बलों द्वारा ‘आत्मरक्षा’ में आम लोगों पर गोली चलाने के तर्क को भी खारिज किया है.
बताया जा रहा है कि सेना की गोलीबारी बारे में मारे गए 14 आम नागरिकों में से अधिकांश लोग इसी जनजाति से थे.
बीते छह दिसंबर को अमित शाह ने घटना का ब्योरा देते हुए संसद में कहा था कि 4 दिसंबर को नगालैंड के मोन जिले में भारतीय सेना को उग्रवादियों की आवाजाही की सूचना मिली थी और उसके 21वें पैरा कमांडो ने उस जगह पर इंतजार किया.
उन्होंने कहा था कि शाम को एक वाहन उस स्थान पर पहुंचा और सशस्त्र बलों ने उसे रोकने का संकेत दिया, लेकिन वह नहीं रुका और आगे निकलने लगा.
शाह ने कहा था कि उग्रवादियों के होने के संदेह में इस वाहन पर गोलियां चलाई गईं, जिसमें वाहन पर सवार 8 में से छह लोग मारे गए. शाह ने कहा था कि बाद में इसे गलत पहचान का मामला पाया गया.
कोन्यक यूनियन के प्रवक्ता टी यानलेम ने कहा कि ‘आत्मरक्षा’ में गोली चलाने का सवाल ही नहीं है, क्योंकि उस घटना में मारे गए लोग निहत्थे थे. 21वें पैरा कमांडो ने बिना कोई आकलन किए बड़ी गलती की है. उन्होंने छह युवा लड़कों को मार दिया. वे निर्दोष ग्रामीण थे, जो घर लौट रहे थे.’
यूनियन की एक अन्य प्रवक्ता इंग्फे कोन्यक ने कहा, ‘शाह का संसद में दिया ‘भ्रामक बयान’ शर्मनाक है.’
उन्होंने कहा, ‘केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह बिना तथ्यों को जांचे ऐसा बयान कैसे दे सकते हैं? वह इतने गलत कैसे हो सकते हैं.’
उन्होंने कहा कि शाह को कोन्यक और नगालैंड के लोगों से माफी मांगनी चाहिए.
मालूम हो कि इससे पहले मेघालय में भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी दल नेशनलिस्ट पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने नगालैंड में थल सेना के पैरा-कमांडो की गोलीबारी में छह आम नागरिकों की मौत होने पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा दिए गए बयान की आलोचना करते हुए कहा था कि उन्होंने तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है.
इसके अलावा केंद्र के साथ नगा राजनीतिक वार्ता में प्रमुख वार्ताकार नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (इसाक-मुइवा) ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के संसद में आतंकवाद रोधी अभियान पर दिए गए बयान को ‘गैर जिम्मेदाराना’ करार दिया था.