एक राष्ट्र, एक टैक्स यानी जीएसटी शुरू करने और एक राष्ट्र, एक चुनाव के मुद्दे पर बहस के बीच अब केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड शुरू करने का एलान किया है.
नई दिल्ली-कोई भी गरीब व्यक्ति सब्सिडी वाले खाद्यान्नो से वंचित न रहे इसके लिए उपभोक्ता मामलों के केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने तमाम राज्यों के खाद्य सचिवों के साथ बैठक में एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड योजना के विभिन्न पहलुओं पर विचार किया. सरकार की योजना एक साल के भीतर इसे लागू करने की है. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, इंटीग्रेटेड मैनेजमेंट आफ पीडीएस (आईएमपीडीएस) के तहत कई राज्यों में खाद्य और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के दायरे में शामिल लाभार्थी किसी भी जिले से राशन खरीद सकते हैं. आईएमपीडीएस फिलहाल आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, राजस्थान, तेलंगाना और त्रिपुरा में लागू है. बयान में कहा गया है कि बाकी राज्यों ने भी शीघ्र इस प्रणाली को लागू करने का भरोसा दिया है. केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने बताया, “योजना को अमली जामा पहनाने लिए तमाम पीडीएस दुकानों पर प्वाइंट आफ सेल यानी पीओएस मशीनों का उपलब्ध होना अनिवार्य है. आंध्र प्रदेश, हरियाणा समेत कई राज्यों में तमाम राशन दुकानों पर पीओएस मशीनें उपलब्ध हो गई हैं.”
केंद्र की दलील है कि इस योजना के लागू होने के बाद उपभोक्ता किसी दूसरे राज्य के किसी भी राशन दुकान से रियायती दरों पर अनाज उठा सकते हैं. इस सुविधा से रोजी-रोटी और नौकरियों के लिए शहरों की ओर पलायन करने वाले उपभोक्ताओं को सबसे ज्यादा फायदा मिल सकेगा. केंद्रीय मंत्री पासवान बताते हैं कि सरकार उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा का हरसंभव प्रयास कर रही है. इस योजना के बाद उपभोक्ताओं को किसी एक दुकान से बांध कर नहीं रखा जा सकता है. इसके साथ ही राशन दुकानदारों की मनमानी और चोरी को बंद करने में मदद मिलेगी.
केंद्र सरकार इस नई योजना से सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के दायरे में शामिल 81 करोड़ लोगों को सहूलियत पहुंचाना चाहती है. पीडीएस के तहत हर साल 612 लाख टन खाद्यान्न का वितरण होता है. पासवान ने बताया, “मोबाइल नंबरों की तर्ज पर राशनकार्ड की पोर्टेबिलिटी शुरू हो जाने पर खासकर प्रवासी लोग देश के किसी भी कोने में रहते हुए पीडीएस का लाभ उठा सकेंगे.”
कैसे काम करेगी नईप्रणाली
उपभोक्ता और खाद्य व सार्वजनिक वितरण मामलों के राज्य मंत्री राव साहेब दानवे कहते हैं कि इस प्रणाली को प्रभावी बनाने के लिए सभी राज्यों को पुराने राशन कार्डों को डिजिटल स्वरूप देने का काम पूरा कर लेना होगा. इस योजना के लागू होने के बाद लोग आधार कार्ड या पैन कार्ड की तरह दूसरा राशनकार्ड नहीं बना सकेंगे.
Indien Kolkata Ration Card
राशन कार्डों को डिजिटल स्वरूप देना इस योजना के लिए जरूरी होगा.
पहले लाखों लोग एक से ज्यादा राशनकार्ड रखते थे. लेकिन अब धीरे-धीरे ऐसे करोड़ों कार्डों को रद्द कर दिया गया है. मंत्री बताते हैं कि हर कार्ड पर आधार कार्ड की तर्ज पर एक यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर होगा. इसकी वजह से फर्जी कार्ड बनवाना लगभग असंभव हो जाएगा. एक एकीकृत प्रणाली के तहत तमाम राशनकार्डों के आंकड़े रखे जाएंगे.
केंद्रीय मंत्री पासवान कहते हैं, “बिहार का कोई व्यक्ति अगर केरल या पूर्वोत्तर जैसे सुदूर राज्यों में मजदूरी या नौकरी कर रहा है तो उसे वहां भी पीडीएस के तहत सब्सिडी वाला खाद्यान्न मिल सकेगा.” अब तक ऐसा संभव नहीं था. पहले राशन कार्ड को दुकानों से जोड़ा जाता था. नतीजतन उपभोक्ताओं को दुकानदारों की मनमानी और भ्रष्टाचार से जूझना पड़ता था. राशनकार्ड मालिक अक्सर कुछ खाद्यान्न काला बाजार में बेच देते थे.
दिक्कतें
लेकिन क्या इस योजना को लागू करना उतना ही आसान होगा जितना केंद्र सरकार दावा कर रही है? कई सामाजिक संगठनों ने इस पर संदेह जताया है. एक गैर-सरकारी संगठन के संयोजक मनोहर पांडा कहते हैं, “योजना कागज पर तो अच्छी है. लेकिन इसे लागू करने में कई व्यावहारिक दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. इसके लिए बड़े पैमाने पर राशन कार्डों को डिजिटल स्वरूप देना होगा. कई राज्य इस मामले में काफी पिछड़े हैं. इसके अलावा पीडीएस से जुड़े दुकानदार भी इस मामले में अड़ंगा लगा सकते हैं.” वह कहते हैं कि सरकार को इस योजना को लागू करने के लिए एक ठोस निगरानी तंत्र की स्थापना करनी होगी. अगर राशन दुकान मालिकों के भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लग सका तो इस योजना का मकसद पूरा नहीं होगा.
सामाजिक कार्यकर्ता जयंत मल्लिक कहते हैं, “पीडीएस में भ्रष्टाचार की जड़ें काफी गहरी हैं. राशन कार्ड के पोर्टेबल होने के बावजूद दुकानदारों की मनमानी पर अंकुश लगाने की राह में राजनीति समेत कई बाधाएं हैं. सरकार के एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड योजना लागू करने से पहले इन पहलुओं को भी ध्यान में रखना होगा.” कई आम लोग इससे खुश लग रहे हैं. बिहार के मुजफ्फरपुर से कोलकाता में टैक्सी चलाने का काम करने गए मनोरंजन पाठक कहते हैं, “इससे काफी सहूलियत हो जाएगी. गांव में दुकानदार स्टाक नहीं रहने का बहाना करता है और यहां राशन कार्ड बना नहीं है. अब नई व्यवस्था लागू होने पर तो हम यहीं से राशन से ले सकेंगे.”