नई दिल्ली, 21 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार से पूछा है कि क्या एप आधारित कैब कंपनियों की वेबसाइट्स को बंद किया जा सकता है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि कैब कंपनियां प्रतिबंधों के बावजूद अपनी सेवाएं जारी रखे हुए हैं।
मुख्य न्यायाधीश जी.रोहिणी तथा न्यायाधीश आर.एस.एंडलॉ की खंडपीठ ने दिल्ली सरकार की स्थायी वकील जुबेदा बेगम को एक हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है, जिसमें एप आधारित कैब कंपनियों पर पाबंदी के मद्देनजर उठाए गए कदमों तथा उनकी वेबसाइट्स बंद की जा सकती हैं या नहीं, इसकी जानकारी देने को कहा है।
पीठ ने कहा, “ऐसा क्यों नहीं हो सका? आप (दिल्ली सरकार) साइटों को ब्लॉक कर सकते हैं। दिल्ली पुलिस की एक शाखा इसी तरह के काम देखती है।”
न्यायालय ने सरकार को निर्देश लेने तथा चार सप्ताह के अंदर हलफनामा दायर करने के लिए कहा, साथ ही मामले की सुनवाई 25 फरवरी तक के लिए मुल्तवी कर दी।
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने न्यायालय से कहा कि वह उन कैब कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है, जो पाबंदी के बावजूद अपनी टैक्सियों का परिचालन कर रहे हैं।
वकील बेगम ने न्यायालय से कहा, “हम (सरकार) इस मामले में कार्रवाई कर रहे हैं। बीते सप्ताह हमने 100 से ज्यादा टैक्सियों को जब्त किया है।”
न्यायालय हरेश गुप्ता नामक व्यक्ति की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने पाबंदी के बावजूद टैक्सियों का परिचालन करने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय राजधानी में 27 वर्षीय एक युवती के साथ टैक्सी कंपनी उबेर के एक चालक द्वारा कथित तौर पर दुष्कर्म के बाद दिल्ली सरकार ने एप आधारित सभी कंपनियों द्वारा टैक्सी के परिचालन पर पाबंदी लगा दी थी। सरकार ने एक जनवरी को पाबंदी की पुष्टि की थी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।