मोहनपुर। बाबानगरी पर अब सावन का रंग चढ़ने लगा है। अनवरत कांवरियों का आना जारी है। बोल बम के जयकारे से समूचा कांवरिया पथ गुंजायमान हो गया है। गुरुवार को कांवरिया पथ में कांवरियों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी।
प्रशासन की ओर से दुम्मा, सरासनी व खिजुरिया में विश्रमालय बनाया गया है। गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा दर्जनों जगह शिविर लगाकर कांवरियों की सेवा की जा रही है। पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की ओर से दुम्मा, धावाघाट एवं बांक में शिव भक्तों को ठंडक पहुंचाने के उद्देश्य से वरुण व इंद्र वर्षा का इंतजाम किया गया है। जाम से परेशानी- देवघर स्टेशन स्थित पुल के पास रिक्शा, ऑटो सहित अन्य वाहनों का जमघट रहने से जाम लगा रहता है। जिससे पैदल आते कांवरिया सहित अन्य को काफी परेशानी होती है। सवारी बैठाने के लिए यहां रिक्शा और ऑटो खड़े रहने से विकट स्थिति बनी रहती है। इससे अनहोनी की आशंका बनी हुई है। कई कांवरियों ने बताया कि जाम के कारण उन्हें काफी दिक्कत होती है, प्रशासन को इसमें सुधार लाना होगा तभी नयी व्यवस्था कारगर साबित होगी।
कांवरिया पथ में भी नियंत्रण का प्रयास -बुधवार को हुई अफरा-तफरी से सबक लेते हुए प्रशासन ने हाथ-पैर मारना शुरू कर दिया है। सूचना प्रसारण की व्यवस्था को जहां मजबूत बनाया जा रहा है वहीं पुलिस जवानों को तैनात कर कांवरियां पथ में भी नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है।
बुधवार को थोड़ी भीड़ बढ़ने से हुई अफरा-तफरी से सबक लेते हुए प्रशासन ने गुरुवार को व्यवस्था में परिवर्तन किया है, जिसके चलते भीड़ को नियंत्रण करने में सहूलियत तो हुई लेकिन कड़ी धूप व उमस भरी गर्मी में मानों कांवरियों की परीक्षा हो रही हो। सबसे बुरा हाल महिलाओं व बच्चों का था। नई व्यवस्था में कतार व्यवस्था सुचारू रूप से चली लेकिन शिवगंगा व मातृ मंदिर विद्यालय तक जाम जैसी स्थिति बनी रही। जाम व बेरिकेटिंग के कारण कांवरियां शिवगंगा में उतरकर एक तरफ से दूसरे तरफ जा रहे थे। स्थानीय लोगों को भी आवागमन में खासा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बताते चलें कि कल तक जहां दोनों तरफ कतार लगाकर नेहरू पार्क के पंडाल में प्रवेश कराया जा रहा था, वहीं गुरुवार को केवल मातृ मंदिर विद्यालय की तरफ से कतार लगाई गई थी, जिसे पंडाल के समीप ही परिवार वालों व अन्य कांवरियों को दो अलग-अलग गेट से प्रवेश कराया जा रहा था। शीघ्र दर्शनम व डाक बम को अलग गेट से नेहरू पार्क में प्रवेश कराया जा रहा था। एकमात्र कतार का परिणाम था कि यह एक समय तिवारी चौक तक पहुंच गयी थी। इसके बाद सिमटकर मत्स्य विभाग के आफिस तक आ गया, जहां घटने-बढ़ने का सिलसिला लगा रहा। व्यवस्था तो बदली लेकिन पंडाल नहीं होने के कारण कांवरियों को खासा परेशानी का सामना करना पड़ा। उमस भरी गर्मी व प्रचंड धूप में मानो शिवभक्तों की परीक्षा हो रही थी। महिला व बच्चों को भी पुरुषों की कतार में लगा दिया गया है। नेहरू पार्क तक पहुंचने में कांवरियों को घंटों लग जाते हैं, ऐसे में सौ किमी से अधिक की यात्रा पांव पैदल कर आए कांवरियों को ऊपर से सूर्य देव तो नंगे पैर में तपती धरती झुलसा रही थी, नतीजतन महिला व बच्चे कतार में ही जहां-तहां बैठ जा रहे थे।