तिरुवनंतपुरम, 20 मई (आईएएनएस)। केरल विधानसभा चुनावों में करारी हार के एक दिन बाद शुक्रवार को कांग्रेस की केरल इकाई में घमासान छिड़ गया, नेताओं ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप की झड़ी लगा दी।
आरोप-प्रत्यारोप की झड़ी कुछ ऐसी थी कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष वी. एम. सुधीरन को शांति बनाए रखने की अपील करनी पड़ी।
उन्होंने कहा कि सोमवार को बैठक बुलाई गई है, जहां हर कोई बोल सकता है।
विधानसभा चुनाव में कांग्रेसनीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) को करारा झटका लगा है। केरल की 140 सदस्यीय विधानसभा में उसकी सीटों की संख्या 73 से घट कर 47 हो गई है।
स्वयं कांग्रेस के विधायकों की संख्या 39 से घटकर 22 हो गई है। वाम मोर्चा के पुनरुत्थान में दो मंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनाव हार गए।
केरल में कांग्रेस हमेशा से गुटबाजी का शिकार रही है।
पार्टी में तीन मुख्य गुट हैं जिनका नेतृत्व निवर्तमान मुख्यमंत्री ओमान चांडी, पूर्व गृह मंत्री रमेश चेन्निथला और प्रदेश अध्यक्ष सुधीरन कर रहे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री के.करुणाकरण की बेटी पद्मजा वेनुगोपाल त्रिशूर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव हार गईं। उन्होंने कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने उनकी पीठ में छुरा घोंपा।
नाराज पद्मजा ने कहा, “चुनाव प्रचार के दौरान पार्टी के जमीनी कार्यकर्ता उनके साथ थे, जबकि नेतृत्व वहां नहीं था।”
टिकट नहीं मिलने के कारण चुनाव लड़ने से वंचित रहे पूर्व मंत्री सी. एन. बालाकृष्णन ने पद्मजा वेणुगोपाल पर जवाबी हमला करते हुए कहा कि वह चुनाव हार गई हैं, इसलिए भावुक हो रहीं हैं।
अलपुझा विधानसभा क्षेत्र में बुरी तरह पराजय का मुंह देखने वाली प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष लेली विंसेंट ने कहा कि भ्रष्टाचार के आरोप झेल रहे लोगों को उम्मीदवार बनाए जाने से पार्टी की हार हुई।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और इंटक अध्यक्ष आर. चंद्रशेखरन ने कहा कि अगर ओमान चांडी ने पार्टी का अपहरण नहीं किया होता, तो यूडीएफ की हार नहीं हुई होती।
पूर्व मुख्यमंत्री के. करुणाकरण के पुत्र और तिरुवनंतपुरम से चुनाव जीतने वाले के. मुरलीधरन ने कहा कि किसी को दोष देने का कोई अर्थ नहीं है। कांग्रेस को आत्ममंथन करना होगा।
पूर्व आबकारी मंत्री के.बाबू ने अपनी हार की अलग ही वजह बताई और वह है सीट को लेकर भ्रम। उन्होंने कहा कि जब हमारी पार्टी में ही भ्रम पैदा किया गया तो फिर हमारा वोटर क्या करता?