नई दिल्ली, 19 जून (आईएएनएस/इंडियास्पेंड)। केंद्र से पंचायतों को दी जाने वाली राशि अगले पांच साल में करीब तीन गुना बढ़कर 63,051 करोड़ रुपये से 2,00,292 करोड़ रुपये हो जाएगी। यह वृद्धि 14वें वित्त आयोग की सिफारिश पर की जाएगी।
नई दिल्ली, 19 जून (आईएएनएस/इंडियास्पेंड)। केंद्र से पंचायतों को दी जाने वाली राशि अगले पांच साल में करीब तीन गुना बढ़कर 63,051 करोड़ रुपये से 2,00,292 करोड़ रुपये हो जाएगी। यह वृद्धि 14वें वित्त आयोग की सिफारिश पर की जाएगी।
वित्त आयोग वित्तीय संसाधन की केंद्र और राज्यों के बीच साझेदारी पर सुझाव देने का काम करता है।
नई व्यवस्था के तहत केंद्र को हुई आय में से 60 फीसदी हिस्सा पंचायतों को दिया जाएगा।
प्रखंड और जिला स्तर के पंचायतों को उसके खर्च के लिए अधिकतर कोष राज्य सरकार से मिलता है।
ग्राम पंचायत जहां अपनी कुल आय का 11 फीसदी हिस्से का उपार्जन खुद करता है, वहीं प्रखंड और जिला स्तरीय पंचायत क्रमश: 0.4 फीसदी और 1.6 फीसदी आय का खुद उपार्जन करता है।
ये जानकारी नई दिल्ली के एक थिंक टैंक एकाउंटेबिलिटी इनीशिएटिव की एक रिपोर्ट ‘भारत में ग्रामीण स्थानीय सरकार को वित्तीय हस्तांतरण का एक समसामयिक विश्लेषण’ से मिली।
1990 के दशक में पंचायतों को सशक्त करने की प्रक्रिया में उन्हें काफी शक्ति दी गई थी। 1992 में संविधान के 73वें और 74वें संशोधन के तहत सरकार की संरचना तीन स्तरों वाली हो गई- केंद्र सरकार, राज्य सरकार और स्थानीय सरकार।
स्थानीय सरकार भी दो हिस्सों में विभक्त है- शहरी और ग्रामीण। ग्रामीण स्थानीय सरकार भी तीन स्तरों में विभक्त है- ग्राम पंचायत (ढाई लाख), प्रखंड पंचायत (6,405) और जिला पंचायत (589)।
14वें वित्त आयोग में राज्य की शक्ति बढ़ाई गईै और इसमें ग्रामीण और शहरी स्थानीय सरकार के लिए 2,87,436 करोड़ रुपये राज्यों को सुपुर्द करने का प्रावधान किया गया है। इसमें यह भी कहा गया है कि ग्रामीण स्थानीय सरकार को शहरी स्थानीय सरकार से अधिक राशि दी जाए।
ग्राम पंचायतों को अपने स्रोतों से 2011-12 में 3,118 करोड़ रुपये की आय हुई थी।
ग्राम पंचायत अपनी कुल आय का 11 फीसदी हिस्सा अपने स्रोतों से खुद कमाते हैं। शेष 89 फीसदी उन्हें केंद्रीय कोषों, केंद्रीय वित्त आयोग कोषों, डिवोल्व्ड फंड और राज्य सरकार के अनुदानों से मिलता है।
ग्राम पंचायतों की आय की आय जहां लगातार बढ़ी है, वहीं केंद्र से मिलने वाला हिस्सा घटा है।
ग्राम पंचायतों को 2009-10 में केंद्र से करीब 70 फीसदी हिस्सा मिलता है, जो घटकर 61 फीसदी रह गया है। इसका कारण यह हो सकता है कि काफी धन अब राज्यों को जाता है और राज्य सरकार के पास से वह प्रखंड और जिला स्तरीय पंचायती संस्थाओं को जाता है।
एकाउंटेबिलिटी इनीशिएटिव के सलाहकार और पंचायती राज मंत्रालय के पूर्व संयुक्त सचिव टीआर रघुनंदन ने कहा कि पंचायती सरकार के आम लोगों के सर्वाधिक पास होने के कारण, इन्हें अधिक पैसा और कार्य हस्तांतरित करने से भारतीय लोकतंत्र जमीन पर उतर सकता है।
(आंकड़ा आधारित, गैर लाभकारी, लोकहित पत्रकारित मंच, इंडियास्पेंड के साथ एक व्यवस्था के तहत। ये लेखक के निजी विचार हैं)