नई दिल्ली – डिजिटल न्यूज पोर्टल्स को जल्द ही अपने संपादकीय प्रमुख, स्वामित्त्व, आधिकारिक पते और नामित अधिकारी और अन्य संबंधित जानकारी सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को उपलब्ध करानी होगी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सूचना एवं प्रसारण सचिव अमित खरे का कहना है कि सरकार ने ऑनलाइन न्यूज मीडिया परिदृश्य का खाका तैयार किया है.
उन्होंने कहा, ‘मौजूदा समय में सरकार के पास अभी पूर्ण तस्वीर नहीं है कि अभी इस सेक्टर में कितनी मीडिया संस्थाएं हैं और वे कौन-कौन हैं. अगर आप उनकी वेबसाइट पर जाते हैं तो आपको उनके ऑफिस के पते और एडिटर इन चीफ आदि से जुड़ी बुनियादी जानकारी नहीं मिलेगी. ‘
सूत्रों के मुताबिक, मंत्रालय जल्द ही एक फॉर्म जारी करने जा रहा है, जिसे सभी डिजिटल न्यूज आउटलेट को एक महीने के भीतर भरकर जमा कराना होगा.
सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गुरुवार को डिजिटल मीडिया संस्थानों के बारे में पूर्ण जानकारी की कमी का हवाला देते हुए कहा कि इस संबंध में पूर्ण जानकारी नहीं होने की वजह से नए दिशानिर्देशों को जारी करने से पहले उनसे किसी तरह का विचार-विमर्श नहीं किया गया.
हालांकि, खरे ने कहा कि अगर सरकार के पास न्यूज वेबसाइट की पूरी जानकारी होती भी तो इसकी (दिशानिर्देशों) थोड़ी बहुत जरूरत होती ही क्योंकि वेबसाइटों से उन्हीं स्थापित कोड का पालन करने की उम्मीद है, जिसका प्रिंट और टीवी पहले से ही पालन करते आ रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘हमें नहीं लगता कि किसी को इससे एतराज होगा. उन पर किसी तरह का नया दायित्व नहीं होगा.’
बता दें कि नए दिशानिर्देशों के तहत डिजिटल न्यूज आउटलेट को केबल टेलीविजन नेटवर्क्स रेगुलेशन एक्ट के तहत प्रोग्राम कोड और भारतीय प्रेस परिषद पत्रकारिता संहिता के नियमों का पालन करना होगा, जो व्यापक तौर पर टीवी और प्रिंट मीडिया के कंटेंट पर निगरानी रखता है.
डिजिटल न्यूज वेबसाइट के लिए सरकारी निगरानी तंत्र स्थापित करने की जरूरत के बारे मे पूछने पर खरे ने कहा, ‘भारतीय प्रेस परिषद प्रिंट मीडिया की देखरेख करता है. डिजिटल मीडिया के लिए पहले ऐसी कोई संस्था नहीं थी. अगर भविष्य में कोई होगी तो इस तरह की समिति की कोई जरूरत नहीं होगी.’
हालांकि, खरे ने दिशानिर्देशों की रूपरेखा बनाने से पहले विचार-विमर्श नहीं किए जाने के आरोपों को खारिज करते हुए कहा, ‘सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने उनसे दिल्ली में दो बार मुलाकात की. मुंबई और चेन्नई में दो दौर की वार्ताएं हुईं. सैद्धांतिक रूप से ओटीटी प्लेटफॉर्म स्वनियमन पर सहमत हुई थी लेकिन उनके प्रस्ताव में निगरानी और अपील के लिए स्वतंत्र संस्था की कमी थी. वे शिकायतों को आंतरिक तौर पर सुलझाना चाहते थे, जो हमारे लिए स्वीकार्य नहीं था.’
ओटीटी प्लेटफॉर्म के कामकाज में सरकार के अत्यधिक दखल की आशंका पर सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा कि इस तरह की चिंताओं का कोई आधार नहीं है क्योंकि दिशानिर्देशों में ओटीटी और डिजिटल मीडिया के लिए सॉफ्ट स्वनियमन का मॉडल प्रस्तावित है, जो ओटीटी प्लेटफॉर्म की रचनात्मकता और नागरिकों के अधिकारों को संतुलित रखता है.
बता दें कि मोदी सरकार ने गुरुवार को फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया मंचों पर निगरानी और डिजिटल मीडिया और स्ट्रीमिंग मंचों को कड़े नियमों में बांधने की अपनी योजना का अनावरण किया था.
इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस) नियम 2021 के नाम से लाए गए ये दिशानिर्देश देश के टेक्नोलॉजी नियामक क्षेत्र में करीब एक दशक में हुआ सबसे बड़ा बदलाव हैं. ये इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस) नियम 2011 के कुछ हिस्सों की जगह भी लेंगे.
इन नए बदलावों में ‘कोड ऑफ एथिक्स एंड प्रोसीजर एंड सेफगार्ड्स इन रिलेशन टू डिजिटल/ऑनलाइन मीडिया’ भी शामिल हैं. ये नियम ऑनलाइन न्यूज़ और डिजिटल मीडिया इकाइयों से लेकर नेटफ्लिक्स और अमेज़ॉन प्राइम पर भी लागू होंगे.
मंत्रालय ने एक बयां में बताया है कि डिजिटल मीडिया पर खबरों के प्रकाशकों को भारतीय प्रेस परिषद की पत्रकारीय नियमावली तथा केबल टेलीविजन नेटवर्क नियामकीय अधिनियम की कार्यक्रम संहिता का पालन करना होगा, जिससे ऑफलाइन (प्रिंट, टीवी) और डिजिटल मीडिया के बीच समान अवसर उपलब्ध हो.
नियमों के तहत स्वनियमन के अलग-अलग स्तरों के साथ त्रिस्तरीय शिकायत निवारण प्रणाली भी स्थापित की गई है. इसमें पहले स्तर पर प्रकाशकों के लिए स्वनियमन होगा, दूसरा स्तर प्रकाशकों के स्वनियामक निकायों का स्वनियिमन होगा और तीसरा स्तर निगरानी प्रणाली का होगा.
नियमों के अनुसार हर प्रकाशक को भारत के अंदर ही एक शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त करना होगा जो शिकायतों के निवारण के लिए जिम्मेदार होगा और उसे शिकायत मिलने के 15 दिनों के अंदर उसका निवारण करना होगा.
नियमों के मुताबिक प्रकाशकों के एक या एकाधिक स्वनियामक निकाय हो सकते हैं. ऐसे निकाय के अगुवा उच्चतम/उच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायधीश या कोई प्रख्यात हस्ती होंगे और उसमें छह से अधिक सदस्य नहीं होंगे.
ऐसे निकाय को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में पंजीकरण कराना होगा. बयान के अनुसार यह निकाय प्रकाशकों द्वारा आचार संहिता के अनुपालन तथा शिकायत निवारण पर नजर रखेगा.
इसके अलावा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय कोड ऑफ प्रैक्टिसेज समेत स्वनियामक निकायों के लिए चार्ट बनाकर जारी करेगा. वह शिकायतों पर सुनवाई के वास्ते अंतर-विभागीय समिति स्थापित करेगा.