नई दिल्ली-केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में बुलाई गई केंद्रीय श्रमिक संगठनों की देशव्यापी हड़ताल के दूसरे दिन मंगलवार को कुछ हिस्सों में बैंकिंग सेवाएं एवं सार्वजनिक परिवहन आंशिक रूप से ठप होने से सामान्य जनजीवन पर असर देखा जा रहा है.
ट्रेड यूनियनों द्वारा आहूत राष्ट्रव्यापी हड़ताल के दूसरे दिन भी कुछ राज्यों में सार्वजनिक परिवहन और बैंकिंग सेवाएं आंशिक रूप से बाधित रहीं. श्रमिक संगठन एटक की महासचिव अमरजीत कौर ने कहा कि लगभग सभी क्षेत्रों के कर्मचारी एवं कामगार इस हड़ताल का हिस्सा बने हैं और ग्रामीण इलाकों में भी इसे खासा समर्थन मिल रहा है. उन्होंने बताया कि अब अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के कर्मचारी भी इसमें शामिल हो गए हैं.
उन्होंने हड़ताल के पहले दिन 20 करोड़ से अधिक कर्मचारियों की भागीदारी का दावा करते हुए कहा कि दूसरे दिन इस संख्या में और बढ़ोतरी होगी.
देश भर के केंद्रीय श्रमिक संगठनों के संयुक्त मोर्चा ने इस देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया हुआ है. यह हड़ताल कर्मचारियों, किसानों एवं आम आदमी के खिलाफ सरकार की कथित गलत नीतियों के विरोध में बुलाई गई है.
इसके जरिये श्रमिक संगठनों ने श्रम कानूनों को वापस लेने, निजीकरण की किसी भी योजना को खारिज करने, राष्ट्रीय मौद्रीकरण पाइपलाइन को बंद करने, मनरेगा के तहत आवंटन बढ़ाने और ठेके पर काम करने वाले कर्मचारियों को स्थायी करने की मांग प्रमुखता से रखी है.
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआईटीयूसी) ने मंगलवार सुबह एक बयान में कहा है कि स्वतंत्र क्षेत्रीय संघों और संघों के साथ वे सुबह 11.30 बजे से जंतर-मंतर पर ‘धरना’ देंगे.
इस हड़ताल को बैंकिंग कर्मचारी संगठनों का भी अच्छा समर्थन मिल रहा है. सार्वजनिक बैंकों के निजीकरण की योजना को ठंडे बस्ते में डालने की मांग कर रहे बैंकिंग कर्मचारी संगठन इसका हिस्सा बन रहे हैं. इससे कई राज्यों में बैंकिंग सेवाओं पर असर देखने को मिला है.
अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने कहा कि हड़ताल के पहले दिन कर्मचारियों के मौजूद नहीं रहने से देश भर में करीब 18,000 करोड़ रुपये मूल्य के 20 लाख चेकों का निस्तारण नहीं हो पाया.
भारतीय बैंक कर्मचारी महासंघ (बीईएफआई) और अखिल भारतीय बैंक अधिकारी संघ (एआईबीओए) भी इस हड़ताल का हिस्सा है.
श्रमिक संघ, किसानों और आम लोगों को प्रभावित करने वाली केंद्र सरकार की नीतियों का विरोध कर रहे हैं. यह निर्णय 22 मार्च को एक बैठक के बाद आया है, जहां ट्रेड यूनियनों ने कहा कि वे केंद्र की ‘मजदूर विरोधी, किसान विरोधी, जन विरोधी और राष्ट्र विरोधी नीतियों’ का विरोध करेंगे. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की सरकार की योजना के साथ-साथ बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक 2021 के विरोध में बैंक संघ भाग ले रहे हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ के अनुसार, तमिलनाडु में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों का संचालन प्रभावित हुआ. इसने कहा कि लगभग 5,000 करोड़ रुपये के चेक का लेन-देन नहीं किया जा सका.
कर्मचारी संघ के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने कहा, ‘हड़ताल के कारण, सामान्य बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हुईं. समाशोधन संचालन भी प्रभावित हुआ, क्योंकि शाखाएं निकासी के लिए चेक नहीं भेज सकीं. चेन्नई में कार्यरत दक्षिणी ग्रिड में हमारी हड़ताल के दौरान 5,000 करोड़ रुपये के लगभग छह लाख चेक को क्लीयरेंस के लिए भेजा नहीं जा सका.’
कर्मचारी संघ ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मजबूत करने, राष्ट्रीयकृत बैंकों के निजीकरण, अनुबंध कर्मचारियों और बैंकिंग संवाददाताओं को नियमित करने सहित विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल की घोषणा की.