नई दिल्ली, 31 अगस्त (आईएएनएस)। लंदन ओलम्पिक-2012 में कांस्य पदक जीतने वाले भारतीय पहलवान योगेश्वर दत्त ने खेल भावना का परिचय देते हुए बुधवार को कहा कि वह चाहते हैं कि रूस के पहलवान बेसिक कुदुखोव के परिवार वाले कुदुखोव द्वारा लंदन ओलम्पिक में जीता रजत पदक अपने पास ही रखें।
उल्लेखनीय है कि लंदन ओलम्पिक के दौरान लिए गए नमूनों की दोबारा जांच में डोपिंग के दोषी पाए जाने के बाद कुदुखोव से रजत पदक वापस लिया जा सकता है और कुदुखोव के हाथों हारे योगेश्वर के कांस्य पदक को रजत में बदला जा सकता है।
योगेश्वर लंदन ओलम्पिक की फ्रीस्टाइल स्पर्धा के 60 किलोग्राम भारवर्ग के प्री क्वार्टर फाइनल में कुदुखोव से हार गए थे। कुदुखोव फाइनल तक पहुंचने में सफल रहे थे, जिसके चलते योगेश्वर को कांस्य पदक के लिए रेपचेज मुकाबले खेलने का मौका मिला था।
योगेश्वर ने रेपचेज मुकाबलों में प्योटरे रिको के फ्रैंकलिन गोमेज, ईरान के मसऊद इस्माइलपुर और उत्तर कोरिया के रि जोंग म्योंग को हराकर कांस्य पदक जीता था।
विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) ने रूस में सरकार प्रयोजित डोपिंग कार्यक्रम के व्यापक मामलों को देखते हुए हाल ही में बीजिंग ओलम्पिक और लंदन ओलम्पिक के दौरान लिए नमूनों की दोबारा जांच करवाए जाने का निर्णय लिया, जिसमें अनेक खिलाड़ी डोपिंग के दोषी पाए गए हैं।
कुदुखोव के नमूनों की दोबारा जांच में भी प्रतिबंधित पदार्थ की उपस्थिति मिली है और उनसे उनका रजत पदक वापस लिया जा सकता है, हालांकि 29 दिसंबर, 2013 में एक कार दुर्घटना के दौरान मौत हो चुकी है।
योगेश्वर ने हालांकि कहा है कि डोप टेस्ट पॉजिटिव पाए जाने के बावजूद वह कुदुखोव को सम्मानपूर्वक ही स्मरण करते हैं।
योगेश्वर ने ट्वीट किया, “‘कुदुखोव शानदार पहलवान थे। उनका मृत्यु के पश्चात डोप टेस्ट में फेल हो जाना दुखद है। मैं खिलाड़ी के रूप में उनका सम्मान करता हूं। अगर हो सके तो ये मेडल उन्हीं के पास रहने दिया जाए। उनके परिवार के लिए भी सम्मानपूर्ण होगा।”
हालांकि यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) और अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (आईओसी) ने कुदुखोव से रजत पदक वापस लिए जाने के फैसले की पुष्टि नहीं की है।
योगेश्वर को तभी आधिकारिक तौर पर लंदन ओलम्पिक में रजत पदक विजेता माना जाएगा जब यूडब्ल्यूडब्ल्यू लिखित तौर पर भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) को अपनी मंजूरी भेजे।
उल्लेखनीय है कि कुदुखोव आधुनिक कुश्ती के दुनिया के महान पहलवानों में शुमार किए जाते रहे। वह चार बार विश्व चैम्पियन रहे और 2007 से 2011 के बीच उन्हें जितनी बार विश्व चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया स्वर्ण पदक जीता।