केर्न्स (ऑस्ट्रेलिया), 21 सितम्बर – विदेशों में जमा काले धन का पता लगाने और उसे वापस लाने की राह में भारत को एक बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। जी20 देशों के वित्त मंत्रियों ने हर वर्ष के अंत में विभिन्न देशों के कर अधिकारियों से सभी बैंकों की सूचनाएं स्वत: साझा करने की अनुमति देने पर रविवार को सहमति जताई है। यह व्यवस्था 2017 से लागू होगी। जी20 देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के बीच हुई बैठक के बाद जारी एक विज्ञप्ति के मुताबिक, “पारस्परिक आधार पर कर सूचनाओं के स्वत: विनिमय के लिए हम वैश्विक आम रिपोर्टिग मानक को अंतिम रूप देंगे, जिससे सीमा पार कर चोरी को रोकने और उससे निपटने में हम सक्षम हो सकेंगे।”
बयान के मुताबिक, “2017 या 2018 के अंत से हम एक दूसरे से और अन्य देशों से सूचनाओं का स्वत: विनिमय शुरू करेंगे।”
दो दिनों के शिखर सम्मेलन के अंत में एक आधिकारिक सूत्र ने कहा कि इस समझौते के तहत विभिन्न देश न केवल इस व्यवस्था के लागू होने की तिथि से बैंकों के विवरण हासिल करने में सक्षम होंगे, बल्कि अनुरोध करने पर उन्हें बीते पांच-छह वर्षो के विवरण भी प्राप्त हो सकेंगे।
इस समझौते से भारत सहित कई अन्य देशों को काले धन पर लगाम लगाने में सहायता मिलेगी, क्योंकि बैंक पहले स्थानीय गोपनीय कानूनों का हवाला देकर खाता संबंधी कोई भी सूचना देने से इंकार कर देते थे।
बीते मई माह में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने विदेशों में जमा काले धन की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था।
उल्लेखनीय है कि बीते महीने सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि विदेशों में जमा काले धन की जांच के लिए 2011 में गठित एसआईटी की पहल पर विदेशी बैंकों ने इस दिशा में कुछ प्रगति की है।