नई दिल्ली, 12 अक्टूबर (आईएएनएस)। कानपुर में रविवार को भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच हुए पहले एकदिवसीय मुकाबले की पूर्व संध्या पर एकदिवसीय कप्तान महेंद्र सिंह धौनी और टेस्ट कप्तान विराट कोहली के बीच अजिंक्य रहाणे को टीम में शामिल करने को लेकर जोरदार बहस हुई थी।
नई दिल्ली, 12 अक्टूबर (आईएएनएस)। कानपुर में रविवार को भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच हुए पहले एकदिवसीय मुकाबले की पूर्व संध्या पर एकदिवसीय कप्तान महेंद्र सिंह धौनी और टेस्ट कप्तान विराट कोहली के बीच अजिंक्य रहाणे को टीम में शामिल करने को लेकर जोरदार बहस हुई थी।
भारत को वह मैच पांच रनों से हारना पड़ा था। उस मैच के लिए आश्चर्यजनक तौर पर रहाणे को अंतिम एकादश में शामिल भी किया गया था। रहाणे ने अपने चयन को सार्थक साबित करते हुए 60 रन बनाए थे और रोहित शर्मा (150) के साथ दूसरे विकेट के लिए 149 रनों की साझेदारी की थी।
भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने धौनी और कोहली के बीच हुई इस बहस की चर्चा फेसबुक पर की है। गांगुली के मुताबिक टीम के दो सीनियर खिलाड़ियों की बीच इस तरह का सम्बंध होना अच्छी बात नहीं है। इससे टीम को नुकसान होगा और यह बेहद चौंकाने वाली बात है।
रहाणे को अंतिम एकादश में शामिल किए जाने पर जानकार जितने हैरान थे उससे कहीं ज्यादा हैरान रहाणे को कोहली से ऊपर तीसरे क्रम पर भेजने से थे। टीम की घोषणा के वक्त रहाणे के लिए चौथा क्रम निर्धारित हुआ था। जिस वक्त शिखर धवन आउट हुए थे उस समय भारत ने 42 रन बनाए थे और रोहित अच्छा खेल रहे थे, ऐसे में रहाणे से अधिक प्रतिभाशाली कोहली को रोकना और रहाणे को भेजना सबको हैरान करता है।
मैच के बाद संवाददाताओं ने जब धौनी से कोहली के साथ सम्बंधों में खटास के बारे में जानना चाहा था, जो उन्होंने इससे इंकार किया था। धौनी ने मैच से पूर्व संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि रहाणे के लिए टीम में अभी कोई स्लॉट खाली नहीं है क्योंकि स्वाभाविक तौर पर वह पहले, दूसरे या तीसरे क्रम खिलाड़ी हैं लेकिन अभी हमारी टीम में ये तीनों स्लॉट बुक हैं।
कप्तान ने यह भी कहा था कि रहाणे को चौथे या फिर उससे नीच के क्रम पर खिलाना उनकी तौहीनी होगी क्योंकि वह सभाविक तौर पर ऊपरके क्रण के खिलाड़ी हैं। ऐसे में उनका कानपुर में खेल पाना सम्भव नहीं दिख रहा। मीडिया ने अगले दिन इस खबर को प्रमुखता दी थी और साथ ही यह मान लिया था कि रहाणे कानपुर में अंतिम एकादश का हिस्सा नहीं होंगे।
इसके बावजूद रहाणे को टीम में शामिल किया गया और तीसरे क्रम पर खिलाया गया। इसके बाद मैदान में भी एक नाटकीय दृश्य देखा गया। लांग ऑफ पर फील्डिंग करने के दौरान कोहली ने उस ओर के स्टैंड के दर्शकों को हाथ ऊपर उठाकर उत्साहित किया। यह वह वक्त था, जब अब्राहम डिविलियर्स और फाफ डू प्लेसिस भारतीय गेंदबाजों की खबर ले रहे थे।
दर्शक बीच-बीच में ‘कोहली-कोहली’ का नारा भी लगाते। इस बीच कुछ मौकों पर धौनी ने उन्हें स्थान परिवर्तित करने के लिए इशारा भी किया लेकिन कोहली ने उसे अधिक गम्भीरता से नहीं लिया। वह अपने लिए जनमत संग्रह करने में जुटे रहे। मैच के बाद धौनी ने इसकी भरपाई कोहली की खिंचाई करके की। नाम न लेते हुए धौनी ने कहा कि हमें 35 ओवरों के आसपास तेजी से रन बनाने चाहिए थे।
गौर करने वाली बात यह है कि उस मैच में कोहली ने 18 गेंदों पर 11 रन बनाए थे और उनका विकेट 40वें ओवर की अंतिम गेंद पर 214 रन के कुल योग पर गिरा था। इससे साफ है कि धौनी ने कोहली को निशाने पर लेने की कोई कसर नहीं छोड़ी। इसकी वजह साफ है। जब से धौनी ने यह बयान दिया था कि रहाणे स्ट्राइक रोटेट नहीं करते और इस कारण वह एकदिवसीय टीम के लिए फिट नहीं हैं, धौनी और कोहली में मतभेद शुरू हो गया था।
बतौर टेस्ट कप्तान कोहली ने रहाणे को हर मैच में खिलाया और रहाणे ने भी कप्तान की उम्मीदों को जिया। वह तीनों फॉरमेंट के सफल खिलाड़ी हैं। ऐसे में न जाने धौनी ने रहाणे को लेकर अजीबोगरीब बयान क्यों दिया। जानकार मानते हैं कि ऐसा करते हुए वह रहाणे को बाहर और अपने ‘चहेते’ खिलाड़ियों को अंदर रखना चाहते थे।
कानपुर में रहाणे को टीम में शामिल करना धौनी की विस्तृत सोच और टीम हित में लिया गया फैसला लगा था लेकिन यह कुछ और ही निकला। असल बात यह है कि मैच पूर्व संध्या पर टीम प्रबंधन की बैठक में टीम निदेशक रवि शास्त्री ने धौनी से रहाणे को टीम में शामिल करने को कहा क्योंकि वह अच्छे फार्म में हैं। धौनी ने असमर्थता जताई लेकिन इस शर्त पर मान गए कि कोहली को नम्बर-4 पर जाना होगा। कोहली थोड़े ना-नुकुर के बाद इस पर मान गए लेकिन मैदान में उनका बल्ला रूठ गया।
अब उनका बल्ला जानबूझकर रूठा या फिर कोई और बात है यह तो विराट ही बता सकते हैं लेकिन भारत यह मैच हार गया। और फिर यह भी चर्चा आम है कि बोर्ड इस सीरीज के नतीजे के आधार पर बतौर एकदिवसीय कप्तान धौनी के भविष्य का फैसला करेगा। कहीं ऐसा तो नहीं कि विराट चाहते ही नहीं कि भारत यह सीरीज जीते ही नहीं?