देहरादून, 29 मार्च (आईएएनएस)। उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने के खिलाफ कांग्रेस की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कांग्रेस नेता हरीश रावत से 31 मार्च को विधानसभा में बहुमत साबित करने को कहा।
राज्य में दो दिन पहले ही राष्ट्रपति शासन लगाया गया है, जिसके एक दिन बाद यानी सोमवार को रावत को विधानसभा में अपना बहुमत साबित करना था।
रावत द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने कहा कि उन सभी नौ विधायकों, जिन्हें अध्यक्ष ने अयोग्य घोषित कर दिया है, उन्हें मतदान में शामिल होने की मंजूरी होगी।
न्यायालय ने कहा कि मतदान का परिणाम एक अप्रैल को न्यायालय के समक्ष पेश किया जाना चाहिए। साथ ही न्यायालय ने न्यायालय के एक रजिस्ट्रार को विधानसभा में मतदान पर नजर रखने का आदेश दिया।
कांग्रेस प्रवक्ता व वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि दो दिनों तक व्यापक बहस के बाद न्यायालय का यह फैसला आया है।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “उच्च न्यायालय ने उस तर्क को स्वीकार किया, जिसमें राष्ट्रपति शासन के बावजूद बहुमत साबित करने की मंजूरी के लिए न्यायिक समीक्षा की पर्याप्त गुंजाइश है।”
उन्होंने कहा, “विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप राष्ट्रपति शासन व बहुमत साबित करने की प्रक्रिया को रोकने को न्यायसंगत नहीं ठहराता।”
उन्होंने कहा कि न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया है कि राज्यपाल ने तीन बार क्या कहा और मुख्यमंत्री ने दो बार क्या कहा।
सिंघवी ने कहा कि न्यायालय ने अयोग्य ठहराए गए विधायकों को मतदान में शामिल होने की मंजूरी दी है, लेकिन उनके मतों पर अलग से विचार किया जाएगा।
न्यायालय के इस फैसले से सन्न भाजपा ने कहा कि यह कांग्रेस की जीत की बात नहीं है और उसने राष्ट्रपति शासन के दौरान बहुमत साबित करने का मौका देने के न्यायालय के निर्णय को अप्रत्याशित करार दिया।
भाजपा प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा, “राष्ट्रपति शासन के दौरान इस तरह का आदेश अप्रत्याशित है।”
उत्तराखंड में राजनीति संकट तब पैदा हुआ, जब पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा सहित कांग्रेस के नौ विधायकों ने हरीश रावत के खिलाफ बगावत कर दी और वे भाजपा के पाले में चले गए।
यह संकट 18 मार्च को तब और बद्तर हो गया, जब विधानसभा ने विनियोग विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया, जबकि सदन के आधे से अधिक सदस्यों ने इस पर मत विभाजन की मांग की। कांग्रेस के बागी विधायकों ने भाजपा के मत विभाजन की मांग का समर्थन किया, जिसे अध्यक्ष गोविंद कुंजवाल ने खारिज कर दिया।
राज्य के 70 सदस्यों वाले सदन में रावत सरकार के पास बहुमत न होने के भाजपा के आरोप के बीच अध्यक्ष ने सरकार से सोमवार को बहुमत साबित करने को कहा था।
कांग्रेस के बागी विधायकों को शनिवार को अयोग्य घोषित कर दिया गया और भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने एक दिन बाद वहां राष्ट्रपति शासन लगा दिया।