श्रीनगर, 11 जनवरी (आईएएनएस)| जम्मू एवं कश्मीर में विद्रोह और हिंसा की आग भड़काने का अगुवा माने जाने वाला व्यक्ति आज इलाके में शांति और वार्ता का पक्षधर हो चला है।
मोहम्मद आजम इंकिलाबी हालांकि घाटी में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और किसी क्षेत्रीय दल के बीच गठबंधन के धुर विरोधी भी हैं और इसे राज्य के हित में नहीं मानते।
इंकिलाबी पाक अधिकृत कश्मीर के सक्रिय आतंकवादियों के सामूहिक संगठन ‘युनाइटेड जिहाद काउंसिल’ (यूजीसी) के संस्थापक अध्यक्ष हैं।
जम्मू एवं कश्मीर में अलगाववादी विद्रोह के 1989 में शुरू होने से अब तक इंकिलाबी आठ बार सीमा पार कर पाकिस्तान जाने का दावा करते हैं।
इंकिलाबी हालांकि अच्छाई के लिए अब हिंसा का रास्ता छोड़ चुके हैं। हिंसा से नाराज 68 वर्षीय इंकिलाबी अब भारत और पाकिस्तान से जुड़े कश्मीर और कश्मीर की अवाम के मुद्दों की शांतिपूर्ण तरीके से वार्ता के जरिए समाधान निकाले जाने की बात करने लगे हैं।
श्रीनगर के एक ईसाई मिशनरी स्कूल से शिक्षाप्राप्त इंकिलाबी अलगाववादी राजनीतिक संगठन ‘महज-ए-आजादी’ के भी अध्यक्ष हैं।
इंकिलाबी ने आईएएनएस से कहा, “मैं भाजपा और कश्मीर की किसी क्षेत्रीय पार्टी के बीच गठबंधन के विरुद्ध हूं। मैं चाहता हूं की क्षेत्रीय पार्टियां कश्मीर, कश्मीरियत, अनुच्छेद 370, मुस्लिमों के हित और राज्य के विशेष दर्जे को कायम रखने के अपने मुद्दों पर टिकी रहें।”
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करता है, जिसे भाजपा हटाना चाहती है।
इंकिलाबी ने राज्य में सरकार गठित करने के लिए सभी क्षेत्रीय दलों के आपस में गठबंधन करने का सुझाव भी दिया।
गौरतलब है कि इंकिलाबी की यह टिप्पणी उसी दिन आई है, जिस दिन त्रिशंकु विधानसभा वाले जम्मू एवं कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू कर दिया गया।
इंकिलाबी के अनुसार, “भाजपा का कश्मीर को लेकर अपना एजेंडा है। भाजपा पाकिस्तान के साथ बातचीत की पक्षधर नहीं है..कश्मीरी नेताओं को इस पर डटे रहना चाहिए, चाहे वो आजादी के समर्थक हों या.. क्षेत्रीय पार्टियां।”
इंकिलाबी ने यहां तक कहा कि कश्मीर मुद्दे पर कांग्रेस भी भाजपा की ही तरह है। इसके अलावा इंकिलाबी ने 1987 के विधानसभा चुनाव के बाद मुस्लिम युनाइटेड फ्रंट (एमयूएफ) का विघटन को गलती के रूप में स्वीकार किया।
उन्होंने कहा, “एमयूएफ नेताओं की यह बहुत बड़ी गलती थी। अगर इस तरह का मंच अस्तित्व में आता है और चुनाव में हिस्सा लेता है तो स्थिति में बड़ा बदलाव आ सकता है।”
इंकिलाबी ने कहा, “अलगाववादी दल यदि सच में चुनाव लड़ें तो मुझे लगता है कि भारत का समर्थन करने वाले दलों की जमीन खिसक जाएगी।”
राज्य में हुए ताजा विधानसभा चुनाव में लोगों के बढ़-चढ़कर मतदान में हिस्सा लेने इंकिलाब ने कहा, “राज्य की जनता हाल ही में आई बाढ़ से त्रस्त थी। सर्दियों का मौसम शुरू हो गया था और लोग अपने त्रस्त जीवन से छुटकारा चाह रहे थे..। लेकिन जिन लोगों ने मतदान में हिस्सा लिया उन्होंने ऐसा इसलिए नहीं किया, क्योंकि उन्होंने कश्मीर के भारत में विलय को स्वीकर कर लिया है।”
उल्लेखनीय है कि राज्य विधानसभा चुनाव में इस बार मतदान फीसदी में काफी बढ़त देखने को मिली और कुल 77 प्रतिशत मतदान हुआ। ‘मिशन 44+’ लेकर मैदान में उतरी भाजपा 25 सीटों तक सिमटी रही, घाटी के लोगों ने भाजपा के रंग-ढंग को पसंद नहीं किया।