नई दिल्ली, 17 सितम्बर (आईएएनएस)। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के सामने मौजूद चिंता के बीच निवेश आकर्षित करने के लिए सरकार की कोशिश रहेगी कि उसकी आर्थिक बुनियाद मजबूत रहे। इसके लिए जल्द ही सभी कर विवाद सुलझाए जाएंगे, नई दिवालिया संहिता बनाई जाएगी और खरीद कानून में सुधार किया जाएगा।
उन्होंने कहा, “ऐसी स्थिति में जब वैश्विक बाजारों में भारी उतार-चढ़ाव आने ही वाला है, हम अपनी आर्थिक बुनियाद मजबूत करने में लगे हुए हैं, ताकि इन बदलावों से निपटने की हमारी क्षमता बढ़े।”
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) द्वारा आयोजित भारतीय आर्थिक सम्मेलन में उन्होंने कहा, “बिना निवेश के कोई आर्थिक गतिविधि नहीं हो सकती।” सम्मेलन में कई अन्य मंत्रियों और उद्योग प्रमुखों तथा नीति निर्माताओं ने हिस्सा लिया।
उल्लेखनीय है कि फेडरल रिजर्व गुरुवार को मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करेगा, जिस पर भारत सहित पूरी दुनिया के बाजारों की निगाह है।
यदि फेड ब्याज दर बढ़ाता है, तो यह 2006 के बाद पहली वृद्धि होगी और इससे उभरती अर्थव्यवस्था से बड़े पैमाने पर पैसा निकालकर निवेशक अमेरिका में निवेश करेंगे, क्योंकि वहां निवेश फायदेमंद हो जाएगा।
जेटली ने कहा कि व्यापार की सुविधा के घोषित लक्ष्य के साथ अगले कुछ दिनों में सभी कर विवादों को सुलझा लिया जाएगा।
जेटली ने पिछली तिथि के प्रभाव से लगने वाले कर की ओर इशारा करते हुए कहा, “मई 2014 में भाजपा सरकार के कार्यभार संभालने के बाद से कई कर विवादों को सुलझा लिया गया है।”
उन्होंने कहा, “हम अगले कुछ दिनों में बाकी बचे विवादों को सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि अन्य मुद्दों को न्यायिक प्रक्रिया या कार्यकारी प्रक्रिया के जरिये सुलझाया जा सके।”
आर्थिक सुधारों के बारे में उन्होंने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था पर राजनीतिक कारणों से प्रगति नहीं हो पाई, लेकिन सरकार अन्य कदम उठा रही है, जैसे नई दिवालिया संहिता बना रही है, मध्यस्थता संबंधी नियम बना रही है और सरकारी खरीद नियमों में सुधार कर रही है।
उन्होंने कहा कि इन कदमों से निवेश में वृद्धि होगी।
उन्होंने कहा, “विनिर्माण क्षेत्र में और अधिक तेजी लाना भारतीय अर्थव्यवस्था की एक सबसे प्रमुख चुनौती है। हमने तय किया है कि विकास के मौजूदा ढांचा के अंतर्गत हमें सबसे पहले कृषि पर ध्यान देना चाहिए।”