वाशिंगटन, 31 जनवरी (आईएएनएस)।प्रतिष्ठित भारतवंशी पत्रकार फरीद जकारिया ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारत दौरे को ‘सकारात्मक विदेश नीति’ का एक सटीक उदाहरण करार दिया है और वाशिंगटन को सुझाव दिया है कि अन्य देशों के साथ भी ऐसा ही आदान-प्रदान बनाए रखे।
वाशिंगटन, 31 जनवरी (आईएएनएस)।प्रतिष्ठित भारतवंशी पत्रकार फरीद जकारिया ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारत दौरे को ‘सकारात्मक विदेश नीति’ का एक सटीक उदाहरण करार दिया है और वाशिंगटन को सुझाव दिया है कि अन्य देशों के साथ भी ऐसा ही आदान-प्रदान बनाए रखे।
जकारिकया ने वाशिंगटन पोस्ट में प्रकाशित अपने आलेख में कहा है, “ओबामा का भारत दौरा रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण, प्रतीकात्मक रूप से जीवंत था और यह कुशलता के साथ संपन्न हुआ।”
जकारिया ने ‘विल वाशिंगटन अलाउ द परस्युट ऑफ पॉजिटिव फॉरेन पॉलिसी’ (क्या वाशिंगटन सकारात्मक विदेश नीति का अनुशीलन होने देगा?) शीर्षक वाले अपने आलेख में लिखा, “ओबामा का दौरा एक अवसर और एक समस्या, दोनों दर्शाता है।”
उन्होंने लिखा है, “ओबामा का भारत दौरा सकारात्मक विदेश नीति का एक सटीक उदाहरण है। अमेरिका क्लिंटन के कार्यकाल से भारत के साथ नए संबंध बनाने की कोशिश कर रहा है।”
जकारिया ने लिखा है, “ओबामा के भारतीय गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने का फैसला एक महत्वपूर्ण बिंदु है। भारत जो 30 साल पहले अमेरिका विरोधी रहा है, धीरे-धीरे अमेरिका समर्थक हो गया है।”
उन्होंने कहा, “भारत को अमेरिका के करीब लाने से वाशिंगटन और विश्व को बड़ा फायदा हो सकता है। 1.2 अरब से अधिक जनसंख्या वाला भारत अगला वैश्विक सम्राट बन सकता है।”
जकारिया ने लिखा, “इस बात की अधिक संभावना है कि आकार के कारण भारत की विकास दर चीन जितनी तेज कभी नहीं होगी, भले ही अगले दो दशकों के दौरान इसकी विकास दर सात फीसदी बनी रहेगी- जिसे भारत आसानी से हासिल कर सकता है। इस विकास दर के कारण विश्व की शक्ति परिषद में इसकी आवाज बुलंद बनी रहेगी।”
उन्होंने लिखा है, “भारत सकारात्मक विदेश नीति के लाभ का सर्वाधिक महत्वपूर्ण उदाहरण है, लेकिन यहां और भी महत्वपूर्ण उदाहरण भी हैं।”
जकारिया ने लिखा है कि विश्व ने अमेरिका के सामने बेहतरीन अवसर पेश किए हैं। उन्होंने लिखा, “एशिया, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका सही दिशा में जा रहे हैं। लेकिन यह चलन स्वचालित या स्वत: सिद्ध करने का नहीं है। उन्हें वाशिंगटन को व्यस्त रखने की जरूरत है- और राजनीतिक और मीडिया के माहौल की जरूरत है, जिसमें आपात चीजें हमेशा महत्वपूर्ण से ज्यादा बड़ी नहीं होतीं।”