नई दिल्ली, 29 जनवरी (आईएएनएस)। अमेरिका में भारत के राजदूत एस. जयशंकर ने गुरुवार को देश के नए विदेश सचिव का पदभार संभाल लिया। जयशंकर को द्विपक्षीय संबंधों में चौतरफा बदलाव में उत्प्रेरक की भूमिका निभाने वाले के रूप में देखा जा रहा है।
नई दिल्ली, 29 जनवरी (आईएएनएस)। अमेरिका में भारत के राजदूत एस. जयशंकर ने गुरुवार को देश के नए विदेश सचिव का पदभार संभाल लिया। जयशंकर को द्विपक्षीय संबंधों में चौतरफा बदलाव में उत्प्रेरक की भूमिका निभाने वाले के रूप में देखा जा रहा है।
जयशंकर को यह जिम्मेदारी सुजाता सिंह के दो वर्षो के कार्यकाल की अवधि बुधवार देर रात सात महीने पहले समाप्त करने के केंद्र सरकार के फैसले के अगले दिन दी गई।
साउथ ब्लॉक में नई जिम्मेदारी संभालते हुए, जयशंकर ने कहा, “मेरी प्राथमिकता वही है, जो सरकार की प्राथमिकता है।” विदेश मंत्रालय का कार्यालय साउथ ब्लॉक में ही स्थित है। जयशंकर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी के तौर पर जाना जाता है। उनके द्वारा सौंपी गई जिम्मेदारी का निर्वाह करने की क्षमता से मोदी प्रभावित हैं।
कूटनीतिक सेवा से 31 जनवरी को निवृत्त हो जाने वाले जयशंकर को जयशंकर ने कहा कि वह इस जिम्मेदारी के लिए चुने जाने पर ‘सम्मानित’ महसूस कर रहे हैं। प्रभार ग्रहण करने के समय सुजाता सिंह मौजूद नहीं थीं। जयशंकर ने बाद में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात की।
नरेंद्र मोदी सरकार ने बुधवार रात 1977 बैच के टॉपर रहे भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के अधिकारी जयशंकर को नए विदेश सचिव के रूप में नियुक्त किया। मंत्रिमंडल की नियुक्ति कमेटी ने बुधवार रात को ‘तत्काल प्रभाव’ से सुजाता का ‘कार्यकाल छोटा’ करने का फैसला लिया। नियुक्ति कमेटी की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं।
कमेटी ने अपने नोट में कहा है कि जयशंकर को दो साल के लिए यह जिम्मेदारी दी गई है।
नए विदेश सचिव से एक बैच वरिष्ठ सुजाता ने अगस्त 2013 में यह पद ग्रहण किया था और उन्हें इस साल अगस्त में सेवानिवृत्त होना था। सुजाता ऐसी तीसरी महिला थीं जिन्हें विदेश सचिव के पद पर नियुक्त किया गया था।
अचानक लिया गया यह फैसला अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के तीन दिवसीय भारत दौरे की समाप्ति के एक दिन बाद हुआ है। इसी दौरान भारत और अमेरिका के बीच असैन्य परमाणु समझौते को लेकर महत्वपूर्ण कदम की घोषणा की गई थी।
ओबामा गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करने नई दिल्ली पहुंचे थे।
वर्ष 2013 में अमेरिका में भारतीय राजदूत के रूप में नियुक्त किए गए जयशंकर ने दिसंबर 2013 में प्रभार लेने के बाद दोनों देशों के बीच की खाई पाटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जयशंकर ने न्यूयार्क में भारतीय कूटनीतिक अधिकारी देवयानी खोबरागडे की न्यूयार्क में गिरफ्तारी में विशेष रूप से भूमिका निभाई। देवयानी को अपनी नौकरानी के आव्रजन हैसियत को लेकर गिरफ्तार किया गया था। इसके अलावा जयशंकर ने पिछले साल सितंबर में मोदी की अमेरिका यात्रा की तैयारी में बड़ी भूमिका निभाई थी।
विदेश मंत्रालय में 2004-07 के बीच संयुक्त सचिव रहते हुए वह परमाणु संधि पर बातचीत करने वाले अधिकारियों में शामिल थे। अमेरिका में राजदूत बनने से पहले वह चीन में भारत के राजदूत रह चुके हैं। वे सिंगापुर और चेक गणराज्य में भी राजदूत के रूप में पदस्थापित रहे।
जयशंकर के परिवार के सदस्य प्रशासनिक सेवा में हैं और वह भारतीय विदेश नीति के अगुआ के.सुब्रह्मण्यम के बेटे हैं।
वर्ष 2013 के जुलाई में रंजन मथाई के सेवानिवृत्त होने के बाद विदेश सचिव के पद के लिए जयशंकर के नाम पर विचार किया गया था, लेकिन तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने उनकी जगह सुजाता सिंह को चुना। पूर्व प्रधानमंत्री कथित रूप से जयशंकर को विदेश सचिव के रूप में नियुक्त किए जाने के पक्ष में थे, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सुजाता सिंह के पक्ष में फैसला सुनाया। सुजाता के पिता टी. वी. राजेश्वर गुप्तचर ब्यूरो के पूर्व प्रमुख थे और कांग्रेस के पक्षधर भी।