नई दिल्ली, 16 अक्टूबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) अधिनियम को निरस्त करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर ने शुक्रवार को कहा कि एनजेएसी न्यायपालिका की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करता है।
सरकार की दलीलों को खारिज करते हुए खेहर ने कहा कि ऊंची अदालतों में न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित संविधान के 99वें संशोधन और राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) अधिनियम के निरस्त होने का अर्थ ही यह है कि कॉलेजियम प्रणाली अपने आप बहाल हो गई है।
न्यायमूर्ति खेहर ने अपने अलग फैसले में कहा कि “छह सदस्यीय एनजेएसी में प्रधान न्यायाधीश और उनके बाद के दो वरिष्ठतम न्यायाधीशों की मौजूदगी ऊंची अदालतों में न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण के मामले में न्यायपालिका की प्रधानता को बनाए रखने के लिए नाकाफी है।”
न्यायमूर्ति खेहर ने अपने फैसले में लिखा है कि एनजेएसी में पदेन सदस्य की हैसियत से केंद्रीय कानून मंत्री की मौजूदगी संविधान के दायरे से परे है, क्योंकि यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता और शक्तियों के पृथक्कीकरण के सिद्धांतों का अतिक्रमण करता है।
उन्होंने कहा कि इसी तरह एनजेएसी में ‘दो महत्वपूर्ण हस्तियों की मौजूदगी’ भी संविधान प्रदत्त अधिकारों से बाहर की बात है और यह संविधान के बुनियादी ढांचे का अतिक्रमण भी है।