एक हैं जगत के सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी और दूसरे हैं जगत के पालनहार श्री हरि विष्णु। इन दोनों के अलावा एक मात्र भगवान शिव हैं जिनकी शक्ति के सामने देव और दानव सिर झुकाते हैं। भगवान विष्णु तो समय-समय पर अवतार लेकर दुनिया से पाप और पापियों का नाश करते हैं लेकिन एक समय ऐसा आया जब उबटन से बना एक बालक जीवित हो उठा।
इस बालक ने भगवान विष्णु एवं ब्रह्मा जी को युद्ध के लिए ललकारा और अपनी युद्ध कला से चकित कर दिया। इस बालक का निर्माण देवी पार्वती ने स्नान के समय किसी को कैलाश पर नहीं पाकर अपनी सुरक्षा के लिए तैयार किया था। इस घटना का वर्णन शिव पुराण में मिलता है। देवी पार्वती ने बालक से कहा कि मैं स्नान करने जा रही हूं। जब तक मैं स्नान करके नही आती हूं तुम द्वार पर पहरा दो।
इस बीच महादेव भ्रमण करते हुए कैलाश पहुंच गए। बालक ने महादेव को भी रोक दिया। भगवान शिव ने बालक को कफी समझाया लेकिन उसने भगवान शिव की एक नहीं मानी। इसी बीच ब्रह्मा और विष्णु भी कैलाश आ पहुंचे। ब्रह्मा विष्णु ने बालक को बल पूर्वक हटाने का प्रयास किया तब बालक ने दोनों देवताओं से भयंकर युद्ध किया। शिव इससे क्रोधित हो उठे और द्वारपाल बने उस बालक पर त्रिशूल का प्रहार कर दिया।
बालक का सिर माता को पुकारते हुए भूमि पर गिर पड़ा। देवी पार्वती जब स्नान करके बाहर आई तो इस दृश्य को देखा तो उग्र हो गईं। क्रोध में आककर पार्वती संसार को नष्ट करने लगी। पार्वती जी को मनाने के लिए विष्णु जी ने एक हाथी का सिर उस बालक के धड़ से जोड़ दिया और यह बालक गणपति के नाम से संसार में विख्यात हो गया।
भगवान शिव और पार्वती ने इस वीर बालक को पुत्र के रूप में स्वीकार किया और गणों में प्रधान गणेश नाम दिया। इनकी पूजा का दिन यानी गणेश चतुर्थी इस वर्ष 9 अगस्त को है।