फिल्मोत्सव के समापन पर प्रदेश की महिला कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) शादाब फातिमा ने कहा कि बच्चे सिर्फ पढ़कर या लिखकर नहीं सीखते, बल्कि सुनकर व देखकर भी बहुत कुछ सीखते हैं।
उन्होंने कहा कि इस महोत्सव में बच्चों को विभिन्न देशों की शिक्षात्मक बाल फिल्में देखने को मिलीं। इन फिल्मों में जीवन के विविध आयाम समाए हुए थे, जो छात्रों को सही या गलत का फैसला लेने की योग्यता प्रदान करेंगे।
मंत्री ने कहा कि बाल फिल्मोत्सव के माध्यम से बच्चों को अच्छी प्रेरणादायी फिल्में दिखाकर सीएमएस ने उन्हें सकरात्मक राह दिखाई है।
गौरतलब है कि 7 से 15 अप्रैल तक चले अंतर्राष्ट्रीय बाल फिल्म महोत्सव में लखनऊ व आसपास के क्षेत्रों के लगभग डेढ़ लाख से अधिक छात्रों ने शिक्षात्मक बाल फिल्में देखीं।
अंतिम दिन शुक्रवार को सीएमएस की ओर से कानपुर रोड के मेन ऑडिटोरियम के अलावा अन्य सात मिनी ऑडिटोरियम में भी देश-विदेश की अनेक फिल्मों का प्रदर्शन हुआ। प्रमुख फिल्मों में ‘मैचस्टिक गर्ल, लाइफ एकार्डिग टु नीनो, क्लोज सर्किट, स्काई हाई, बेरी एंड डॉली, अंडर द स्मॉल सन, हाय आई एम न्यू, ओह व्हेल, स्विच मैन, जर्नी बाइ कैमरा आदि शामिल थीं।
विभिन्न देशों की अलग-अलग भाषाओं में बनी फिल्में अंग्रेजी व हिंदी अनुवाद के साथ दिखाई गईं, जिससे बच्चे आसानी से फिल्म के कथानक को समझ पाए । खास बात यह कि ये फिल्में नि:शुल्क दिखाई गईं, इसलिए गरीब व अमीर बच्चे एक साथ मिल-बैठकर इन फिल्मों का आनंद लिया।
महोत्सव में आए बाल कलाकार अमन सिद्दीकी और टीवी कलाकार रूमी सिद्दीकी ने कहा कि शिक्षात्मक फिल्में न सिर्फ बच्चों के लिए, बल्कि अभिभावकों के लिए भी मार्गदर्शक की भूमिका निभाती हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि महोत्सव में दिखाई गई शिक्षात्मक बाल फिल्में बच्चों के मन-मस्तिष्क पर रचनात्मक प्रभाव डालेंगी।