उन्होंने लखनऊ में स्थापित राज्य के प्रथम माइग्रेंट रिसोर्स सेंटर का लोकार्पण भी किया। इस मौके पर अनेक क्षेत्रों में सहयोग के लिए 13 सहमति-पत्रों (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग) पर हस्ताक्षर किए गए।
इस मौके पर 200 से अधिक अनिवासी भारतीयों सहित लगभग 600 प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, “इतनी बड़ी संख्या में आपकी उपस्थिति उत्तर प्रदेश के अनिवासियों की अपनी मातृभूमि से जुड़ने की इच्छा की परिचायक है।”
उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम बड़ा महत्वपूर्ण है, क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार पहली बार इतने बड़े पैमाने पर ‘डायसपोरा’ से जुड़ने और संवाद स्थापित करने का प्रयास कर रही है।
अनिवासी भारतीयों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य तथा राज्य में योगदान की सराहना करते हुए सीएम अखिलेश ने कहा, “जिन देशों को आपने अपनी कर्म-भूमि बनाया है, उनके और भारत के बीच दोस्ती और सद्भावना को बढ़ावा देने में आपकी भूमिका सराहनीय है। भारतीय मूल्यों को बनाए रखते हुए मेहनती, कानून को मानने वाले और शांति-प्रिय नागरिकों के रूप में आपके द्वारा अर्जित उपलब्धियों और प्रतिष्ठा पर हमें गर्व है।”
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश मूल के 16 प्रवासी भारतीयों द्वारा उनके क्षेत्र या व्यवसाय में असाधारण व प्रशंसनीय योगदान तथा राज्य में विकास के लिए सहयोग के लिए ‘उत्तर प्रदेश प्रवासी भारतीय रत्न पुरस्कार’ से सम्मानित किया।
सम्मानित होने वाले प्रवासी भारतीय :
त्रिनिदाद-टोबैगो के पूर्व प्रधानमंत्री बासदेव पाण्डे, युनाइटेड किंगडम के हाउस ऑफ लार्डस के सदस्य व स्वास्थ्य क्षेत्र के प्रोफेशनल डॉ. खालिद हमीद, ग्लोबल ऑर्गनाइजेशन ऑफ पीपुल ऑफ इंडियन ओरिजिन के प्रसिडेंट अशोक रामसरन (संयुक्त राज्य अमेरिका/यूएसए); प्रख्यात उद्यमी, समाजसेवी व लेखक फ्रैंक एफ इस्लाम (यूएसए); विख्यात गायिका एवं समाजसेविका अलका भटनागर (यूएसए); सफल उद्यमी कंवल रेखी (यूएसए); आपातकालीन औषधि विशेषज्ञ एवं स्वास्थ्य शिक्षक डॉ. कृष्ण कुमार (यूएसए); वेंचर कैपिटलिस्ट व हेल्थकेयर प्रोफेशनल डॉ. नन्दिनी टंडन (यूएसए); वरिष्ठ मैटिरियल वैज्ञानिक डॉ. नाथ सिंह (यूएसए); वेंचर कैपिटलिस्ट, शोध वैज्ञानिक व समाजसेविका तलत एफ हसन (यूएसए); राजनयिक, पार्लियामेंटरियन व समाजसेवी डॉ. राजन प्रसाद (न्यू जीलैंड); समाजसेविका सुमन कपूर (न्यूजीलैंड); स्वास्थ्य क्षेत्र के उद्यमी डॉ. अतात खान (सउदी अरेबिया); शिक्षा व अभियंत्रण क्षेत्र में नदीम अख्तर तरीन (सऊदी अरब); वेंचर कैपिटलिस्ट व उद्यमी डॉ. राजिंद्र तिवारी (नीदरलैंड्स); तथा शिक्षा क्षेत्र के जाने-माने व्यक्तित्व प्रोफेसर राजेश चंद्रा (फिजी)।