लखनऊ , 2 जून (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी (सपा) सरकार के तीन वर्षो के कार्यकाल में राज्य के संस्कृति निदेशालय ने सैफई महोत्सव पर खास मेहरबानी दिखाई है। संस्कृति विभाग ने सैफई महोत्सव पर तीन साल में तीन करोड़ रुपये से ज्यादा धन खर्च किया है।
लखनऊ , 2 जून (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी (सपा) सरकार के तीन वर्षो के कार्यकाल में राज्य के संस्कृति निदेशालय ने सैफई महोत्सव पर खास मेहरबानी दिखाई है। संस्कृति विभाग ने सैफई महोत्सव पर तीन साल में तीन करोड़ रुपये से ज्यादा धन खर्च किया है।
सामाजिक कार्यकर्ता संजय शर्मा द्वारा सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी गई जानकारी में संस्कृति निदेशालय की मेहरबानी का खुलासा हुआ है।
शर्मा ने आईएएनएस से कहा, “दरअसल, मैंने साल 2009 से 2014 तक के सैफई महोत्सवों में यूपी की सरकार द्वारा खर्च की गई राशि की सूचना मांगी थी। जनवरी 2014 में मांगी गई सूचना 16 महीने के बाद मई 2015 में दी गई है, जबकि आरटीआई एक्ट के मुताबिक यह सूचना एक माह के बाद ही मिल जानी चाहिए थी।”
शर्मा ने बताया कि संस्कृति निदेशालय द्वारा दी गई सूचना के अनुसार, उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से वर्ष 2009, 2010 और 2011 में सैफई महोत्सव के आयोजन के लिए कोई आर्थिक मदद नहीं दी गई थी, लेकिन वर्ष 2012 में 138़ 52 लाख, वर्ष 2013 में 96़ 59 लाख और वर्ष 2014 में 95़ 29 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी गई।
गौरतलब है कि उप्र में वर्ष 2009 से 2011 तक मायावती की सरकार थी। विधानसभा चुनाव के बाद वर्ष 2012, 2013 और 2014 में अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी की सरकार बनी थी।
शर्मा ने कहा, “मायावती के कार्यकाल में सैफई महोत्सव को कोई आर्थिक मदद नही देने और अखिलेश के कार्यकाल में करोड़ों की मदद देने से यह स्वत: सिद्ध हो रहा है कि सैफई महोत्सव को आर्थिक मदद देने का निर्णय सत्ताधारी राजनैतिक दलों की मंशा के अनुसार लिया जाता है, न कि किसी नीति के अंतर्गत।”
उल्लेखनीय है कि उप्र में जब-जब समाजवादी पार्टी की सरकार बनती है, पार्टी प्रमुख की जन्मभूमि पर सैफई महोत्सव हर वर्ष बड़े तामझाम के साथ मनाया जाता है। सपा नेताओं की कृपा से मंत्रियों से लेकर गांव-देहात तक के लोग बॉलीवुड की बड़ी हस्तियों के ठुमके प्रत्यक्ष देखकर अपने नयन जुड़ाते हैं। सरकार के लिए सैफई महोत्सव कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मुजफ्फरनगर दंगे के बाद भी यह धूमधाम से मनाया गया था। सैफई महोत्सव को लेकर अखिलेश सरकार को बार-बार सफाई देनी पड़ी थी।