बताया गया है कि सरकार की अफोर्डेबल हाउसिंग नीति के तहत आवास एवं विकास परिषद तथा एलडीए समाजवादी आवास बनाएंगे।
वहीं निजी विकासकर्ताओं के माध्यम से अगले दो सालों में करीब 3 लाख से अधिक भवन बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इसी क्रम में आवास एवं विकास परिषद 26 जनवरी को इस योजना के लिए पंजीकरण खोलेगा। सुलतानपुर रोड पर अवध बिहार योजना में सबसे अधिक 4000 भवन और वृदांवन में 2500 भवन बनाए जाएंगे।
इसके अलावा गाजियाबाद के मंडोला में 3000 व सिद्धार्थ बिहार में 1500 और मेरठ के जागृति बिहार में 3000 के साथ ही अन्य छोटे शहरों में 2000 समाजवादी आवास भवन परिषद बनाएगा।
एक अधिकारी ने बताया कि हरदोई में करीब 500 भवन भी बनाए जाने हैं। परिषद ने इसके लिए पूरी कार्ययोजना तैयार कर ली है। इस संबंध में परिषद में बैठक की गई। इसके साथ ही आयुक्त शहाबुद्दीन मोहम्मद की अध्यक्षता में परिषद में ई-टेंडरिंग लागू करने का आवास निर्णय लिया गया।
आवास एवं विकास परिषद के सचिव व अपर आवास आयुक्त आर.पी. सिंह ने बताया कि पहले चरण में इस वर्ष 15 हजार भवन बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
उन्होंने योजना के तहत साइकिल ट्रैक्स भी बनेंगे। इस योजना में निम्न मध्यम एवं मध्यम आय वर्ग के भवन बनेंगे। इसमें न्यूनतम दो कमरे, रसोईघर, बाथरूम, शौचालय एवं बालकनी की सुविधा रहेगी। लखनऊ में ईडब्लूएस की कीमत 8 लाख, एमआईजी की 16 लाख और एचआईजी की 24 लाख रुपये कीमत होगी, जबकि गाजियाबाद में यही 10, 20 और 30 लाख रुपये तय की गई है।
लागू होगी ई-टेंडरिंग :
26 जनवरी को आवास एवं विकास परिषद में निविदाओं को सुरक्षा, पारदर्शिता एवं निष्पक्षता के लिए ई गवर्नेस प्लान के अंतर्गत ई-टेंडर को लागू करने की घोषणा की जाएगी। एक करोड़ या अधिक की निर्माण एवं विकास कायरे की निविदाएं ई टेंडरिंग से होगी। इसके लिए यूपी इलेक्ट्रानिक्स कारपोरेशन लिमिटेड को नोडल एजेंसी नामित किया गया है।
ई-टेंडर के लिए परिषद के पंजीकृत ठेकेदारों में से 80 प्रतिशत ने डिजिटल हस्ताक्षर दे दिए हैं। ऑनलाइन भुगतान की मिलेगी सुविधा परिषद अपनी योजनाओं के लिए इस साल ऑनलाइन सेवा शुरू करने जा रहा है। हालांकि पहले से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा उपलब्ध है, लेकिन नए सॉफ्टवेयर लगने के बाद ऑनलाइन भुगतान भी किया जा सकेगा। आवंटी अपना विवरण भी देख सकेंगे।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।