लखनऊ , 7 अगस्त (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में राजभवन और राज्य सरकार के बीच एक बार फिर टकराव की स्थिति पैदा हो गई है। राज्यपाल राम नाईक ने सूबे के लोकायुक्त की नियुक्ति संबंधी फाइल शुक्रवार को बिना मंजूरी दोबारा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पास भेज दी।
राजभवन की आपत्ति के बाद भी राज्य सरकार की ओर से वही फाइल शुक्रवार को दोबारा नाइक के पास मंजूरी के लिए भेजी गई थी।
राज्यपाल ने इस फाइल को अपूर्ण बताते हुए गुरुवार को भी लौटाई थी। उन्होंने लोकायुक्त नियुक्त करने के लिए चयन समिति के सदस्यों के बीच हुए पत्राचार की पत्रावली भी मांगी थी। इसके बाद मुख्यमंत्री द्वारा शुक्रवार को दोबारा लोकायुक्त के चयन संबंधी फाइल भेजी गई।
राजभवन के प्रवक्ता के अनुसार, राज्यपाल ने पाया कि नए लोकायुक्त के चयन पर लोकायुक्त एवं उप-लोकायुक्त अधिनियम, 1975 की धारा-3 के प्रावधानों के अनुसार मुख्यमंत्री, मुख्य न्यायाधीश, इलाहाबाद उच्च न्यायालय तथा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के साथ परामर्श प्रक्रिया विधि अनुसार पूरी नहीं हुई है।
प्रवक्ता ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सुझाव दिया था कि नए लोकायुक्त के चयन के लिए उपयुक्त नामों का एक पैनल तैयार कर भेजें और उस पैनल में से उपयुक्त नाम चुने जाने के लिए तीनों सदस्यों की बैठक आहूत करें, लेकिन न तो ऐसा कोई पैनल तैयार किया गया और न ही तीनों सदस्यों की एक साथ कभी कोई बैठक ही हुई।
राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को फाइल फिर लौटाते हुए अपेक्षा की है कि लोकायुक्त एवं उप-लोकायुक्त अधिनियम, 1975 की धारा 3 के प्रावधानों के अनुसार परामर्श प्रक्रिया पूरी कर संस्तुति के साथ फाइल सभी दस्तावेजों सहित उन्हें जल्द भेजी जाए।
प्रदेश के वर्तमान लोकायुक्त न्यायमूर्ति एऩ क़े मेहरोत्रा का कार्यकाल 15 मार्च 2014 को ही पूरा हो गया था। तभी से लोकायुक्त का पद खाली है। इस पद पर नई नियुक्ति न होने तक मेहरोत्रा ही कार्यभार संभाल रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार न्यायमूर्ति रवींद्र सिंह यादव को प्रदेश का नया लोकायुक्त बनाने पर अड़ी हुई है। बताया जा रहा है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए सरकार ने न्यायमूर्ति यादव की नियुक्ति के प्रस्ताव पर कैबिनेट की मुहर लगाकर इसकी संस्तुति के लिए राजभवन भेजा था।
सर्वोच्च न्यायालय के कड़े रुख के बाद उप्र में नए लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर राज्य सरकार पर दबाव बढ़ गया है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से तय की गई समय सीमा 21 अगस्त को पूरी हो जाएगी।