लखनऊ- उत्तर प्रदेश में सैफई महोत्सव का आयोजन 26 दिसंबर से 8 जनवरी, 2015 तक किया जाएगा, जिसमें गायन-नृत्य, आतिशबाजी, दंगल, मुशायरा और काव्य संध्या सहित शानदार प्रदर्शनी, व्यापार मेला आकर्षण का केंद्र रहेंगे।
सुदर्शन पटनायक की बालू कला और बैलून डांस भी कार्यक्रम का अहम हिस्सा होंगे। 26 से 29 दिसंबर तक महोत्सव मैदान क्षेत्र में 200 लोक कलाकारों के लोक नृत्यों की प्रस्तुति भी होगी, जो कार्यक्रम को भव्य बनाएगी। इसके साथ ही छात्र-छात्राओं की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होगा।
समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने बताया कि सैफई महोत्सव ग्रामीण अंचल की प्राचीन कला और संस्कृति को अक्षुण्ण रखने का प्रयास है, जिसमें स्थानीय प्रतिभाओं को भी अपने प्रदर्शन का मंच मिलता है।
उन्होंने कहा किडॉ. राम मनोहर लोहिया राजनीति के शुष्क क्षेत्र में लोकरंजन को भी महत्व देते थे और इसीलिए उन्होंने रामायण मेला की भी परिकल्पना की थी। विविध भाषाभाषी, बहुधर्मी और बहु संस्कृति वाले भारत देश में सैफई जैसे महोत्सव वस्तुत: राष्ट्रीय एकता की भावना को समृद्ध करने वाले उत्सव हैं, जिनमें व्यापक जनसंपर्क के साथ जनता का मनोरंजन भी शामिल रहता है। जीवन की आपाधापी में महोत्सव के क्षण नया रस संचार करते हैं।
चौधरी ने कहा कि विकास की परिधि में मानव संसाधन और मानव विकास भी आता है। जीवन के हर क्षेत्र में प्रगति ही सरकार का लक्ष्य है। इसलिए जहां किसानों, व्यापारियों, वकीलों, कर्मचारियों, नौजवानों और अल्पसंख्यको के हित की तमाम योजनाओं पर तेजी से काम जारी है वहीं कला संस्कृति के क्षेत्र की भी उपेक्षा नहीं हो रही है।
प्रवक्ता ने सफाई दी कि लोकतंत्र में लोककला और लोक संस्कृति का फलना-फूलना अनिवार्य आवश्यकता है। इससे लोक जीवन में रससंचार होता है। सैफई महोत्सव गांवों और गरीबों को भी जीवन के सुखद पक्ष का अहसास कराता है।