लखनऊ, 23 सितंबर (आईएएनएस)। हिंदी और उर्दू साहित्य के मनीषियों महादेवी बर्मा, फिराक गोरखपुरी, जगदीश गुप्ता और फैज अहमद जैसे साहित्यकारों का केंद्र रही हिंदुस्तानी अकादमी अब क्षेत्रीय बोलियों के प्रचार-प्रसार पर भी काम करेगी। यह कवायद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर की जा रही है।
लखनऊ, 23 सितंबर (आईएएनएस)। हिंदी और उर्दू साहित्य के मनीषियों महादेवी बर्मा, फिराक गोरखपुरी, जगदीश गुप्ता और फैज अहमद जैसे साहित्यकारों का केंद्र रही हिंदुस्तानी अकादमी अब क्षेत्रीय बोलियों के प्रचार-प्रसार पर भी काम करेगी। यह कवायद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर की जा रही है।
हिंदुस्तानी अकादमी क्षेत्रीय भाषाओं को पहचान दिलाने के लिए काम करेगी। अवधी, भोजपुरी, ब्रज और बुंदेली बोलियों पर काम करने के लिए 50 लाख रुपये का बजट भी तय कर दिया गया है। संस्थान की माने तो इसका मुख्य उद्देश्य पूर्वाचल, ब्रज, अवध एवं बुंदेलखंड को भाषायी तौर पर प्रतिनिधित्व मजबूत करना है।
दरअसल, हिंदी और उर्दू साहित्य के प्रचार-प्रसार के लिए 91 वर्ष पहले हिंदुस्तानी अकादमी की स्थापना की गई थी। अकादमी के सचिव रवींद्र कुमार कहते हैं कि इन बोलियों से संबंधित पुस्तकों के चयन और प्रकाशन के लिए 50 लाख रुपये का बजट रखा गया है।
उन्होंने बताया कि इस बजट के माध्यम से लेखकों के सम्मान समारोह भी आयोजित कराए जाएंगे। अकादमी की तरफ से बोलियों में पुरस्कार समारोह, संगोष्ठियां, वार्ता एवं व्याख्यान भी शुरू कराए जाएंगे। इसके साथ ही युवा पीढ़ी को साहित्यिक कार्यशालाओं के माध्यम से इन बोलियों से जोड़ा जाएगा।
रवींद्र कुमार ने कहा, “आज के समय में बाजार और मंच की अनुपलब्धता के कारण भोजपुरी, अवधी, ब्रज और बुंदेलखंडी बोलियों का साहित्य थम सा गया है। लेखक भी अब इन बोलियों में रुचि नहीं ले रहे हैं। इसीलिए अब अकादमी ने इन बोलियों से जुड़े सभी लेखकों से किताबों के प्रकाशन के लिए अपनी पांडुलिपियों को भेजने के लिए कहा है।”
उन्होंने बताया कि पांडुलिपियों की जांच करवाने और उनके प्रकाशन की सिफारिश करने के लिए एक समिति बनाई गई है। अकादमी उपान्यासों, कहानियों का संग्रह, कविता, किताबें, साहित्यिक आलोचना, दूसरों के बीच इन बोलियों के विकास पर किताबें प्रकाशित करेंगी।
रवींद्र कुमार के मुताबिक, संबंधित क्षेत्रों में साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित करने की भी योजना बनाई गई है। जैसे ब्रजभाषा से जुड़े साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन आगरा, मथुरा, वृंदावन, हाथरस और अलीगढ़ में किया जाएगा। यह आयोजन अकादमी सभागार में होने वाले आयोजनों के अतिरिक्त होंगे। इस तरह के प्रयास से इन बोलियों का प्रचार-प्रसार किया जाएगा।