लखनऊ, 29 सितंबर – उत्तर प्रदेश में बाम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के सहयोग से गिद्धों को बचाया जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार, एनजीओ व विभिन्न महकमों के सहयोग से विशेष अभियान शुरू किया गया है।
अभियान की संयोजक डॉ. अनन्या मुखर्जी ने बताया कि राज्य सरकार के सहयोग से गिद्धों को बचाने व उनकी सुरक्षा करने के लिए प्रदेश के तराई क्षेत्र के सभी जिलों में जागरूकता अभियान शुरू किया गया है। उन्होंने कहा कि गिद्ध पर्यावरण को प्रदूषण से मुक्त रखने में मददगार हैं, इसलिए इन्हें बचाया जाना बेहद जरूरी है।
डॉ. अनन्या ने जानकारी दी कि राज्य सरकार के वन विभाग, पशुपालन विभाग, पशुधन विकास परिषद, औषधि अनुसंधान केंद्र और पर्यावरण विभाग के सहयोग से वल्चर सेफ जोन का गठन किया गया है। वल्चर सेफ जोन के अभियान का मुख्य उद्देश्य है कि हिमालय क्षेत्र से और नेपाल की ओर से प्रदेश के तराई क्षेत्र में आने वाले गिद्धों को सुरक्षित रखने में जनमानस का पूरा सहयोग मिले, जिससे तराई क्षेत्र में गिद्ध सुरक्षित रहें और उनका संवर्धन भी हो।
वल्चर सेफ जोन (उप्र) की सदस्य व रिसर्च बायोलॉजिस्ट अलका दुबे के मुताबिक, अभियान के तहत किसान व पशुपालकों अपने पशुओं के इलाज में तीन घातक दवाओं किटोप्रीफेन, एसेक्लोफेनिक व डाइक्लोफिनेक का प्रयोग नहीं करने की सलाह दी जा रही है। इन दवाओं को खाने वाले मवेशी की मृत्यु के बाद उनके शवों को जब गिद्ध खाते हैं तो दवाओं के घातक प्रभाव के कारण उनकी जल्दी ही मौत हो जाती है। यही वजह है कि उनकी संख्या में तेजी से गिरावट आई है।
वल्चर सेफ जोन की प्रचार अधिकारी रिचा सिंह तोमर ने बताया कि लखीमपुर खीरी, लखनऊ, पलिया, श्रावस्ती, बहराइच व पीलीभीत में कार्यक्रमों का आयोजन और व्यापक प्रचार-प्रसार कर गिद्धों को बचाने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है। लोगों को गिद्धों के महत्व तथा पर्यावरण को साफ-सुथरा रखने में उनके योगदान की भी जानकारी दी जा रही है।