अलीगढ़– अलीगढ़ में एक कॉलेज के बगीचे में नमाज अदा करते हुए एक प्रोफेसर का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो जाने और एक हिंदुत्व संगठन से जुड़े विद्यार्थियों द्वारा कार्रवाई की मांग किए जाने के बाद कॉलेज प्रशासन ने शिक्षक को अनिवार्य छुट्टी पर भेज दिया है.
यह मामला श्री वार्ष्णेय डिग्री कॉलेज का है, जहां प्रोफेसर एसआर खालिद को मंगलवार को एक महीने की छुट्टी पर भेज दिया गया. रविवार को वायरल हुए वीडियो में खालिद कॉलेज के बगीचे में नमाज अदा करते दिखाई दे रहे हैं.
कॉलेज के एक प्रवक्ता ने मीडिया को बताया कि भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) से जुड़े कुछ नेताओं द्वारा प्रोफेसर के खिलाफ अनुशासनहीनता और शांति व्यवस्था भंग करने का आरोप लगाए जाने के बाद इस मामले की जांच शुरू की गई.
इस संबंध में क्वार्सी पुलिस थाने में एक शिकायत भी दर्ज कराई गई है. पुलिस ने कहा कि कॉलेज प्राधिकारियों से रिपोर्ट मिलने के बाद इस मामले में कार्रवाई की जाएगी. अभी तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है.
छात्र नेता दीपक शर्मा आजाद ने आरोप लगाया कि कॉलेज परिसर के भीतर नमाज अदा कर प्रोफेसर कॉलेज परिसर में शांति भंग करने का प्रयास कर रहे थे. इस मामले में जांच चल रही है.
बता दें कि कॉलेज ने इससे पहले हिजाब पर भी पाबंदी लगाई थी.
कॉलेज के प्राचार्य अनिल कुमार गुप्ता ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि खालिद ने उन्हें बताया कि ‘वे जल्दबाजी में थे और उन्होंने पार्क में नमाज पढ़ ली.’
संस्थान के एक प्रवक्ता ने बताया कि भाजयुमो से जुड़े कुछ युवा नेताओं के शिक्षक पर ‘अनुशासनहीनता’ के आरोप और यह कहने के बाद कि उन्होंने सार्वजनिक तौर पर नमाज पढ़कर शांति भंग करने की कोशिश की है, इसको देखते हुए मामले में एक जांच के भी आदेश दिए गए हैं.
भाजपा की इस युवा इकाई के जिला उपाध्यक्ष अमित गोस्वामी ने द क्विंट को बताया कि यह एक ‘सुनियोजित साजिश’ का हिस्सा था.
गोस्वामी ने आगे कहा, ‘अध्यापन के बजाय सहायक प्रोफेसर कॉलेज परिसर में अपने धार्मिक परिधान में नमाज अदा कर रहे हैं. एक शिक्षक द्वारा इस तरह का आचरण छात्रों के बीच विभाजन पैदा करने का एक प्रयास है. यह कोई छिटपुट घटना नहीं है बल्कि राज्य की वर्तमान भाजपा सरकार को बदनाम करने की एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा है.’
उल्लेखनीय है कि अभी तक कोई भी रिपोर्ट यह नहीं बताती है कि खालिद ने बगीचे के एक कोने में शांतिपूर्वक नमाज अदा करने के अलावा किसी भी ऐसी गतिविधि में भाग लिया हो जिसका आरोप दक्षिणपंथी समूह उन पर लगा रहे हैं.