जानकारी मिली है कि सुमेरपुर क्षेत्र के चंदपुरवा बुजुर्ग गांव में दिलीप चंद्र कुशवाहा (55) अठारह बीघे जमीन का काश्तकार था। उसने पुश्तैनी जमीन पर सूखे की काली छाया पड़ने के बावजूद गेहूं और सरसों बोया था। अन्य फसलें बोने का उसे मौका भी नहीं मिल सका। इस किसान की लहलहाती फसलें माहू कीट से खेतों में ही जमींदोज हो गईं।
बूढ़ा किसान खेतों पर गया था, दोपहर करीब एक बजे वह दुखी होकर घर लौट आया। उसने अपनी पत्नी शांति से कहा कि माहू कीट ने सरसों की फसल को पूरी तरह से चौपट कर दिया है। लगता है कुछ भी हाथ नहीं लगेगा। पत्नी उसे ढाढस बंधा रही थी, तभी किसान बेहोश होकर जमीन पर लुढ़क गया।
बड़ी बेटी कंचन ने तत्काल एम्बुलेंस बुलवाई और पिता को सुमेरपुर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गई जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। किसान की मौत से घर में कोहराम मच गया।
मृतक किसान की विवाहित पुत्री कंचन कुशवाहा ने बताया कि दो बहनों की शादी हो चुकी है। सबसे छोटी बहन अंकिता शादी योग्य है। उसका कहना है कि पिता ने इलाहाबाद यूपी ग्रामीण बैंक से किसान क्रेडिट जरिये डेढ़ लाख रुपये का कर्ज ले रखा था। जबकि सहकारी समिति में खाद-बीज का बीस हजार रुपये कर्ज है। इसके अलावा साहूकारों से भी पिता के ऊपर ढाई लाख रुपये का कर्ज है।
इससे पहले जलालपुर, गहरौली मुस्करा, पतारा कुरारा व रिहुंटा चिकासी क्षेत्रों में एक-एक किसान की फसलें बर्बाद होने से मौत हो चुकी है, जबकि बिलगांव में एक दलित किसान ने फांसी लगाकर जान दे दी थी। जिले में अब तक करीब डेढ़ दर्जन किसानों की मौत हो चुकी है।