लखनऊ, 1 मई (आईएएनएस)। नेपाल में आए भीषण जलजले ने पूरे भारत में भले ही लाखों लोगों को हिला कर रख दिया हो, लेकिन उत्तरप्रदेश की बदनाम नौकरशाही को कार्रवाई के लिए अभी भी झटके का इंतजार है। गुजरात में 2001 में आए भूकंप के बाद एक सर्वेक्षण में उप्र में 2,600 इमारतों की पहचान की गई थी जो भूकंप के झटके झेलने की दृष्टि से कमजोर और खतरनाक थीं।
लखनऊ, 1 मई (आईएएनएस)। नेपाल में आए भीषण जलजले ने पूरे भारत में भले ही लाखों लोगों को हिला कर रख दिया हो, लेकिन उत्तरप्रदेश की बदनाम नौकरशाही को कार्रवाई के लिए अभी भी झटके का इंतजार है। गुजरात में 2001 में आए भूकंप के बाद एक सर्वेक्षण में उप्र में 2,600 इमारतों की पहचान की गई थी जो भूकंप के झटके झेलने की दृष्टि से कमजोर और खतरनाक थीं।
कुछ अधिकारियों का दावा है कि वे इस दिशा में कार्रवाई शुरू करने वाले हैं। लेकिन पूर्व की भांति ज्यादातर लोग यही मान रहे हैं कि अधिकारियों की कार्रवाई कुछ दिनों और हफ्तों तक ही जारी रहेगी।
इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गुजरात में 2001 के भूकंप के बाद सरकार के सर्वेक्षण में 2,600 इमारतों की पहचान ऐसी इमारतों के रूप में हुई थी जो कि भूकंप के झटके झेलने की दृष्टि से कमजोर और खतरनाक थीं।
इन इमारतों को असुरक्षित प्रमाणित किया गया था और इन्हें या तो गिराने अथवा संरचनात्मक रूप से मजबूत बनाने की बात कही गई थी।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस से कहा कि चौदह साल बीत जाने के बाद भी इन घरों पर ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता।
इन 2,600 इमारतों में से सबसे अधिक 637 इमारतें ताजनगरी आगरा में चिन्हित की गई थीं।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के समीप स्थित गाजियाबाद का स्थान दूसरे नंबर पर था, यहां पर 415 इमारतों की पहचान भूकंप के झटके न झेल पाने वाली इमारतों के रूप में की गई थी। इसके बाद मथुरा-वृंदावन में 230, मुरादाबाद में 197, फिरोजाबाद में 187, कानपुर में 175 और राज्य की राजधानी लखनऊ में इस प्रकार की 165 इमारतों की पहचान की गई थी।
इसके अतिरिक्त अलीगढ़ में 145, मेरठ में 121, झांसी में 113 और प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में 101 इमारतों की पहचान भूकंप की दृष्टि से कमजोर इमारतों के रूप में की गई थी।
शहरी विकास विभाग के अधिकारियों ने माना कि गुजरात भूकंप के बाद सरकार ने तुरंत कार्रवाई की लेकिन अफसोस उसके बाद कुछ नहीं हुआ।
नेपाल में आए भूकंप से चिंतातुर होने के बाद उत्तर प्रदेश के प्रमुख आवास सचिव सदाकांत ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि इमारत निर्माण में मानदंडों का पालन हो।
उन्होंने मिट्टी परीक्षण के लिए भी कहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नवनिर्मित भवन और निर्माणाधीन भवन भूकंप रोधी गुणवत्ता पर खरे उतरें।
एक अधिकारी ने कहा कि 500 वर्ग मीटर के क्षेत्र में और 12 मीटर से लंबी बनने वाली इमारतों को नेशनल बिल्डिंग कोड का पालन करने के निर्देश जारी किए गए हैं।
विशेषज्ञ हालांकि यह जानना चाहते हैं कि उन इमारतों का क्या होगा जो पहले ही बन चुकी हैं अथवा जिन्हें खतरनाक इमारत के रूप में चिन्हित किया गया है। लखनऊ में बड़ी संख्या में स्कूल, अस्पताल और शॉपिंग मॉल हैं जो सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करते हैं।
बर्लिग्टन स्क्वायर में बने एक मॉल के पास अनापत्ति प्रमाण-पत्र न होने की बात कही जा रही है लेकिन वह फिर भी खुल गया है।
लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) के उपाध्यक्ष सत्येंद्र कुमार सिंह ने कहा कि जो भी सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करेगा उन पर कार्रवाई की जाएगी।
एलडीए के अधिकारियों ने कहा कि 31 मार्च से पहले पूरा हुआ एक सर्वेक्षण लखनऊ में असुरक्षित इमारतों की संख्या के बारे में बताएगा।
नेपाल में आए भूकंप के झटकों का असर राजधानी के गोमतीनगर स्थित सिविल सर्विस इंस्टीट्यूट में भी देखने को मिला। यहां के एक पिलर में दरार आ गई है। इस इमारत में शीर्ष नौकरशाहों के 110 घर और फ्लैट हैं।
2005 में बनी इस इमारत ने अधिकारियों को कार्रवाई के लिए प्रेरित किया है।