कार सवार चार युवक एक गर्भवती महिला को उठा ले गए थे। युवकों ने 14 दिनों तक महिला को अपने कब्जे में रखा और चारों ने उसके साथ कई बार दुष्कर्म किया। बाद में किसी तरह महिला आरोपियों के चंगुल से छूटी।
पुलिस ने जब मामला दर्ज नहीं किया, तो पीड़िता ने अदालत की शरण ली। सीजेएम कोर्ट ने अब मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच करने के आदेश दिए हैं।
सूत्रों के मुताबिक, नीमगांव थाना क्षेत्र में रहने वाली एक विवाहिता गोला इलाके में किराए के मकान में रहकर सीजीएन डिग्री कालेज में बीए (तृतीय वर्ष) की परीक्षा दे रही थी।
पीड़ित महिला ने अदालत को बताया कि 13 मार्च को वह साइकिल से अपने गांव जा रही थी, तभी सीजीएन डिग्री कालेज के पास एक लाल रंग की कार आकर रुकी। कार में चार लोग सवार थे। उन्होंने उसे कार में खींच लिया और अपहरण कर ले गए। घटना के समय वह तीन माह की गर्भवती थी।
महिला का आरोप है कि युवकों ने कार में ही उसकी बुरी तरह पिटाई कर दी और गला दबा दिया, जिससे वह बेहोश हो गई। बाद में आरोपी उसे एक मकान में ले गए, जहां 14 दिनों तक बंधक बनाए रखा।
दरिंदे युवकों ने 14 दिनों में महिला के साथ कई बार दुष्कर्म किया। बाद में आरोपियों ने महिला को रेलवे स्टेशन के पास छोड़ दिया।
महिला ने पुलिस को घटना की जानकारी दी। गोला पुलिस ने पीड़ित महिला को एसडीएम के सामने पेश किया। महिला ने एसडीएम को अपहरण और सामूहिक दुष्कर्म की पूरी कहानी बताई। उन्होंने कार्रवाई का आश्वासन दिया, लेकिन कुछ किया नहीं।
महिला का आरोप है कि उसके पति ने जब लिखित तहरीर दी, तो पुलिस ने उसे फाड़ दी और अपने हिसाब से तहरीर तैयार कराई।
पीड़िता का कहना है कि अपहरण हो जाने के कारण उसकी परीक्षा छूट गई, बार-बार सामूहिक दुष्कर्म से उसके गर्भ को भी खतरा पैदा हो गया। उसने एसपी से भी गुहार लगाई, फिर भी मुकदमा दर्ज नहीं किया गया।
सीजेएम कोर्ट ने अब महिला के प्रार्थनापत्र पर गोला पुलिस को मुकदमा दर्ज कर मामले की विवेचना करने के आदेश दिए हैं। सवाल यह है कि पहले ही ‘संवेदनहीनता’ का परिचय दे चुकी उत्तर प्रदेश पुलिस महिला को क्या न्याय दिला पाएगी?