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 उप्र : गंगा के रौद्र रूप से सहमे तटवर्ती लोग | dharmpath.com

Tuesday , 26 November 2024

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उप्र : गंगा के रौद्र रूप से सहमे तटवर्ती लोग

कुछ को जहां अपना आशियाना छिन जाने की चिंता सता रही है, वहीं कुछ अपनी खेती योग्य जमीन के खाने की आशंका से परेशान हैं। तटवर्ती गांवों में लोग बाढ़ के खतरे से बेचैन हैं। हालत यह है कि न तो दिन में उन्हें चैन है और न ही रातों को ही नींद आ रही है। किनारों से टकरा रही गंगा की तेज लहरों की आवाज सुनकर ग्रामीण पूरी तरह से सहम जा रहे हैं।

गौरतलब है कि इन दिनों गंगा नदी में पानी तेजी से बढ़ रहा है। बीते कुछ दिनों से लगातार जलस्तर पर बढ़ाव दर्ज किया जा रहा है। इस वक्त गंगा नदी के रौद्र रूप को देखकर हर कोई सहम जा रहा है। क्षेत्र के कई ऐसे इलाके हैं जहां कटान तेजी से हो रहा है। ऐसे में ग्रामीणों को अपना आशियाना छिन जाने का खतरा सताने लगा है।

उन्हें इस बात की चिंता सता रही है कहीं गंगा में जलस्तर और बढ़ा तो उन्हें गांव-घर छोड़ने पर विवश होना पड़ेगा। वहीं किसान अपने खेतों के गंगा की धारा में समा जाने की आशंका से चिंतित है। ग्रामीणों में खौफ इस कदर है कि उनकी भूख-प्यास सब मिट चुकी है। इनकी निगाहें हमेशा गंगा नदी में उफान मारती तेज लहरों की ओर है।

तटवर्ती इलाके के ग्रामीण यह उम्मीद लगाए हैं कि कब गंगा में पानी का बढ़ाव रुकेगा। बाढ़ आने की दशा में ग्रामीणों को अपना गांव छोड़ना पड़ सकता है। ऐसे हालात में उन्हें खुले आसमान के नीचे गुजर-बसर करना पड़ सकता है। साथ ही पशुओं के खाने के लिए चारे की भी किल्लत पैदा हो जाएगी। इन तमाम दुश्वारियों को देखते हुए तटवर्ती इलाके के लोग खासे परेशान हैं।

उप्र : गंगा के रौद्र रूप से सहमे तटवर्ती लोग Reviewed by on . कुछ को जहां अपना आशियाना छिन जाने की चिंता सता रही है, वहीं कुछ अपनी खेती योग्य जमीन के खाने की आशंका से परेशान हैं। तटवर्ती गांवों में लोग बाढ़ के खतरे से बेचै कुछ को जहां अपना आशियाना छिन जाने की चिंता सता रही है, वहीं कुछ अपनी खेती योग्य जमीन के खाने की आशंका से परेशान हैं। तटवर्ती गांवों में लोग बाढ़ के खतरे से बेचै Rating:
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