बांदा, 6 जनवरी (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में बांदा जिले के पैलानी क्षेत्र में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की रोक के बाद चालू सांड़ी खादर बालू खदान में पकड़े गए करीब 200 बालू भरे ओवरलोड ट्रकों को उपजिलाधिकारी (एसडीएम) द्वारा शनिवार को छोड़े जाने का कथित आरोप एक समाजसेविका ने लगाया है।
समाजसेविका उषा निषाद की अगुवाई में शुक्रवार को कई गांवों के करीब 200 किसानों ने मंडल आयुक्त (कमिश्नर) से मिलकर फसल को रौंदकर ओवरलोड बालू भरे ट्रक निकालने की शिकायत की थी।
निषाद ने रविवार को कहा, “कमिश्नर के आदेश पर उपजिलधिकारी पैलानी शनिवार को पुलिस क्षेत्राधिकारी के साथ जांच-पड़ताल करने पहुंचे, लेकिन बालू खदान से तीन किलोमीटर दूर बने खदान मालिक के चेक पोस्ट और रवन्ना कार्यालय में ही रुक गए और यहां ओवरलोड करीब 200 ट्रकों के खिलाफ कोई कार्रवाई करने के बजाए खदान आवंटी के साथ अपने दफ्तर लौट गए हैं।”
निषाद ने कहा, “नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने अमित उपाध्याय की अपील संख्या-263/2018 में पारित 17 दिसंबर के आदेश में खनन पर जिले की जिन छह बालू खदानों पर रोक लगाई है, उसमें यह खदान भी शामिल है। लेकिन, अधिकारियों के संरक्षण से प्रतिबंधित सभी छह बालू खदानों में अवैध खनन हो रहा है।”
उपजिलाधिकारी के साथ जांच में शामिल सदर पुलिस उपाधीक्षक (सीओ) कुलदीप गुप्ता ने कहा, “ओवरलोड ट्रकों या बालू के अवैध खनन पर पुलिस तबतक कोई कार्रवाई नहीं कर सकती, जब तक संबंधित उपजिलाधिकारी का निर्देश नहीं मिल जाता। सांड़ी खादर बालू खदान से दूर पाए गए ट्रकों के खिलाफ कार्यवाही करने का निर्देश उपजिलाधिकारी ने नहीं दिया, इसलिए करीब 200 ओवरलोड ट्रक छोड़ दिए गए हैं।”
उन्होंने कहा, “अवैध खनन या ओवरलोडिंग पर पुलिस से ज्यादा उपजिलाधिकारी की जिम्मेदारी बनती है।”
इस संबंध में जिलाधिकारी बांदा और उपजिलाधिकारी से उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई, लेकिन दोनों अधिकारियों ने फोन नहीं उठाया।
गौरतलब है कि पैलानी क्षेत्र के सैकड़ों किसान पिछले कई दिनों से बालू माफियाओं से खेतों में खड़ी अपनी फसल बचाने की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन प्रशासन ने किसानों की बात अनसुनी कर दी है।