रेल अधिकारियों व सुरक्षा बलों ने शवों को खाई से निकाला और घटना की सूचना अपने उच्चाधिकारियों को दी।
मध्य प्रदेश में जनपद ग्वालियर के लश्कर निवासी रामकुमार उर्फ पम्मी श्रीवास उसका साढूृ संजय पुत्र बाबू के भोपाल में रहने वाले एक रिश्तेदार की मौत हो गई थी। अतरू दोनों साढृू भाई अपनी-अपनी पत्नियों क्रमश: राधा व आरती को साथ लेकर भोपाल गए थे। वहां से वापस ग्वालियर आने के लिए वे हबीबगंज से हजरत निजामुददीन जाने वाली ट्रेन 12155 हबीबगंज एक्सप्रेस के स्लीपर कोच एस-7 में सवार हो गए।
ट्रेन भोपाल से चली और ललितपुर रेलवे स्टेशन पार करने के बाद उसे तालबेहट व माताटीला के बीच सिग्नल नहीं मिले। इसलिए गार्ड व चालक ने ट्रेन रोक दी। स्लीपर कोच एस-7 जहां रुका, उसके नीचे एक गहरी खाई थी। ट्रेन के रुकते ही रामकुमार व संजय अपनी सीट से उठकर दरवाजे की ओर आ गए।
कुछ समय बाद अचानक शोर हुआ कि दोनों युवक गहरी खाई में गिर गए हैं। यह सुनते ही बोगी में बैठी उनकी पत्नियां राधा व आरती भी बाहर की ओर भागीं। उन्होंने पाया कि दोनों लहूलुहान अवस्था में गहरी खाई में अचेतावस्था में पड़े थे। इसकी सूचना पाकर चालक, ट्रेन का गार्ड ए.एम. खरे व आरपीएफ स्क्वॉयड मौके पर पहुंच गए। घटना की सूचना रेलवे के उच्चाधिकारियों को भी दी गई।
इस घटना की जानकारी मिलते ही झांसी जीआरपी, आरपीएफ, डिप्टीएसएस एस.के. ठाकुर और रेलवे डॉक्टर प्लेटफार्म पर पहुंचे। ट्रेन आने के बाद डॉक्टरों ने दोनों युवकों का परीक्षण कर शव को उतारने के लिए कहा। लेकिन दोनों मृतकों की पत्नियों व यात्रियों ने शव को ग्वालियर ले जाने की बात कहते हुए ट्रेन से उतारने नहीं दिया। झांसी स्टेशन पर भी लगभग आधा घंटे तक ट्रेन इसी कश्मकश में खड़ी रही। बाद में ट्रेन में ही शव ग्वालियर के लिए भेज दिए गए।