लखनऊ, 19 अगस्त (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग (यूपीपीएससी) के अध्यक्ष अनिल यादव से जुड़ी अहम जानकारियां छिपाने का राज्य सरकार पर आरोप लगाया गया है।
भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा ने आरोप लगाया है कि सूचना के अधिकार के तहत राज्य सरकार से जो अहम जानकारियां मांगी गई थीं, उसे सरकार ने छिपा लिया है और जो जानकारी दी गई है, वह पूरी तरह अप्रासंगिक है।
भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष कौशल सिंह ने नौ जनवरी, 2015 को मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात जन सूचना अधिकारी से आरटीआई के तहत सूचना मांगी थी।
आरटीआई के माध्यम से उन्होंने यह जानना चाहा था कि क्या नियुक्ति के समय आयोग के अध्यक्ष अनिल यादव के संबंध में सत्यापन कराया गया था कि इनके विरुद्घ प्रदेश के किसी भी जिला न्यायालय में कोई वाद लंबित है या नहीं और इनकी हिस्ट्रीशीट खोली गई या नहीं।
आरटीआई आवेदन में यह भी पूछा गया था कि यदि कोई नियमानुसार संस्तुति हुई है तो जिला प्रशासन की ओर से इनके आचरण के संबंध में दिए गए अनापत्ति प्रमाणपत्र की छायाप्रति प्रदान की जाए। लेकिन न तो शासन ने और न ही आगरा जिलाधिकारी ने इस संबंध में किसी प्रकार का जवाब दिया।
भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा का आरोप है कि सरकार और जिला प्रशासन के रवैये से साफ है कि शासन-प्रशासन ने आयोग अध्यक्ष की कारगुजारियां छिपाई है।
मोर्चा की ओर से मांग की गई है कि आयोग के अध्यक्ष अनिल यादव पर धोखाधड़ी का मुकदमा चलाया जाए।
उल्लेखनीय है कि उप्र लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष अनिल यादव पद संभालने के समय से ही विवादों में रहे हैं। उनपर सरकारी नियुक्तियों में जाति विशेष का पक्ष लेने का आरोप भी लगाया गया है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी अनिल यादव की अध्यक्ष पर नियुक्ति को लेकर तल्ख टिप्पणी की थी। उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से यह बताने को भी कहा है कि अनिल यादव की नियुक्ति किस आधार पर की गई थी।