रायपुर। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने विश्वविद्यालयों को उद्योगों और बाजार की आवश्यकता के अनुसार अपने पाठ्यक्रमों में बदलाव लाने का सुझाव दिया है।
प्रणब मुखर्जी ने शनिवार को यहां पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती दीक्षांत समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए कहा कि विश्वविद्यालयों को उद्योगों और बाजार की आवश्यकता के अनुसार अपने पाठ्यक्रमों में बदलाव लाना चाहिए।
उन्होंने भारत की गौरवशाली परम्परा और तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालयों का उदाहरण देते हुए कहा कि वर्तमान में भी विश्वविद्यालयों का स्तर इसी प्रकार उत्कृष्ट रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में संसाधनों की कमी के बावजूद प्रतिभाशाली शिक्षकों और विद्यार्थियों के साथ हम उच्च शिक्षा के स्तर को और अधिक बेहतर कर सकते हैं। इसके लिए नवीनतम तकनीकों जैसे नॉलेज नेटवर्किंग, ई-क्लास रूम आदि का अधिक से अधिक उपयोग हो।
मुखर्जी ने कहा कि आने वाले सालों में भारत की 50 प्रतिशत आबादी युवाओं की होगी। यदि हम इन युवाओं को और अधिक कुशल और प्रशिक्षित कर सकें तो भारत को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने युवाओं का आह्वान किया और कहा कि वे निडरता, साहस और दृढ़ विश्वास से दुनिया का सामना करें। उन्होंने स्वामी विवेकानंद को उद्धृत करते हुए कहा कि भारत के युवाओं में असीमित शक्तियां है और वे बाहरी दुनिया की सच्चाई का सामना इस सूत्र वाक्य से आसानी से एवं निडरता से कर सकते हैं।