देहरादून/नई दिल्ली, 1 मई (आईएएनएस)। उत्तराखंड के जंगलों में पिछले करीब तीन माह से लगी आग को बुझाने के लिए भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टरों ने कृत्रिम बारिश करवाई।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने रविवार को इसकी जानकारी दी।
आग पर काबू पानी के लिए एनडीआरफ के 40 कर्मियों का एक दल भी नैनीताल तथा अल्मोड़ा जिलों में तैनात किया गया है।
जावड़ेकर ने नई दिल्ली में कहा कि सरकार इस मामले की जांच करेगी कि आग किस तरह और क्यों इतने व्यापक क्षेत्र में फैल गई?
उत्तराखंड के जंगल में आग 88 दिन पहले लगी थी और इससे अब तक 3,000 एकड़ वनक्षेत्र नष्ट हो चुका है।
उन्होंने कहा, “इस घटना के पीछे चंदन तस्कर का हाथ होने की आशंकाओं की भी जांच की जाएगी, लेकिन हमारी प्राथमिकता आग बुझाना और लोगों को राहत देना है।”
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने आग बुझाने के अभियान के लिए पांच करोड़ रुपये की राशि आवंटित की है। गृह मंत्रालय स्थिति पर नजर बनाए हुए है।
वहीं, अधिकारियों के मुताबिक, एनडीआरएफ के 40 कर्मचारी अल्मोड़ा पहुंच गए हैं, जो वनाग्नि से सर्वाधित प्रभावित जिला है। जिला प्रशासन ने पैराग्लाइडिंग पर तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक रोक लगा दी है।
आग बुझाने के लिए जंगलों में कृत्रिम बारिश का अभियान सुबह हनुमानगढ़ी से शुरू हुआ। इसके लिए वायुसेना की टीम सरसावा (सहारनपुर) से आई है। नैनीताल जिले समेत कुमाऊं में पहाड़ी जिलों के अधिकांश जंगल धधक रहे हैं।
नैनीताल के डीएम दीपक रावत ने बताया कि एयरफोर्स की टीम में सात लोग आए हैं और एक एमआई-17 हेलीकप्टर आया है। वन और एसडीएम नैनीताल समेत अन्य अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
वहीं, एनडीआरएफ के 40 कर्मचारियों में से रसोइया एवं वाहन चालक समेत चार जवानों को आग बुझाने के ऑपरेशन से बाहर रखा जाएगा। शेष 36 जवानों को छह-छह की संख्या में बांट कर छह टोलियां बनाई गई हैं।